अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

चरित्र-नाशिनी इंजेक्शन

Written By: AjitGupta - Sep• 28•16

बरसों पहले एक कहानी पढ़ी थी, रोचक थी। पहाड़ी क्षेत्र में एक डॉक्टर रहता था, उसने एक इंजेक्शन ईजाद किया। जिसे एक बार लगाने पर ही आदमी नपुंसक हो जाता था। अब उसने एक अभियान चलाया कि जो भी उसके दवाखाने पर आता, उसे वह इंजेक्शन लगा देता। साथ में उसका रजिस्टर में नाम और पता भी नोट कर लेता। दिन गुजरे और उसकी पुत्री विवाह लायक हो गयी, अब योग्य लड़के की तलाश शुरू हुई। डॉक्टर ने घोषणा की कि पहले मैं जन्मपत्री मिलाऊंगा तब विवाह के लिये हाँ भरूंगा। पत्नी ने कहा कि तुम पुरातनपंथी कैसे हो गये? लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। अब वह जन्मपत्री लेता और रजिस्टर में उस लड़के का नाम खोजता और कह देता कि जन्मपत्री नहीं मिली। लड़की बड़ी होने लगी, अब उसे भी लड़की के विवाह की चिन्ता सताने लगी। लेकिन सारे ही लड़कों के नाम उस रजिस्टर में दर्ज थे, तो वह क्या करता? आखिर एक रिश्ता बड़ी दूर से आया, तब उसे लगा कि यह उपयुक्त वर है और शादी कर दी गयी।
जब पुत्री-दामाद पहली बार उनसे मिलने आये और बातचीत में दामाद ने बताया कि एक बार मैं घूमने आया था और बीमार होने पर आपसे ईलाज कराने आया था। डॉक्टर के पैरों तले की जमीन खिसक गयी और भागकर दवाखाने पहुँचा, तेजी से रजिस्टर पलटने लगा कि शायद उसके दामाद का नाम इसमें दर्ज ना हो, लेकिन होनी को कौन टाल सका है! मुँह लटकाये वह घर लौट आया।
नौ सो चूहे खाय बिल्ली हज को चली, वाली कहावत चरितार्थ करते हुए लड़के के परिवारजन अपने लड़के के लिये सती-सावित्री वधु तलाश करते हैं। लड़कियों में आक्रोश भर गया कि जिन के कारण हमारा चरित्र बिगड़ा आज वो ही हमसे चरित्र का सर्टिफिकेट मांग रहे हैं तो उन्होंने भी चरित्र-नाशिनी इंजेक्शन लगवा लिया। अब लड़के वालों की स्थिति उस डॉक्टर जैसी हो गयी है जो उस लड़की को तलाश रहे हैं जिसने इंजेक्शन नहीं लगवाया हो। सारे ही होटल और क्लबों के रजिस्टर चेक किये जा रहे हैं लेकिन सफलता हाथ नहीं आ रही। सोचो ऐसा हो जाएगा तो क्या होगा? जो समाज केवल लड़की के चरित्र को देखता है और लड़के को पवित्र मानता है, ऐसे समाज में तेजी से परिवर्तन आ रहा है, इसलिये चरित्र की ऐसी दोहरी व्याख्या करना बन्द कीजिये नहीं तो परिणाम घातक होंगे।

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2 Comments

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-09-2016) के चर्चा मंच “उत्तराखण्ड की महिमा” (चर्चा अंक-2481) पर भी होगी!
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

  2. रवि says:

    ऐसे इंजैक्शन बाज बहुतेरे चहुँओर हर क्षेत्र में बढ़ चले हैं – क्या कीजिएगा.

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