अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

ना दीदी बची ना मैया, बाबा पड़े अकेले!

Written By: AjitGupta - Jul• 01•19

आजकल अपने राहुल बाबा बड़े सकते में हैं, अकेले राहुल बाबा ही नहीं सारा परिवार ही सकते में आ गया है। पहले क्या था कि गांधी परिवार खेत में दो-चार दाने डालते थे और दानों की जगह तेजी से खरपतवार उग आती थी तो वे सोचते थे कि देखों हमारे खेत में कितना दम है! लेकिन इस बार क्या हुआ कि जैसे ही राहुल बाबा ने हार-थककर, अपनी नाकामी को छिपाने के लिये रूठने का ढोंग किया तो उनके चारों ओर खरपतवार सरीखे उनके कार्यकर्ता भी सांत्वना को नहीं आए! किसी बन्दे ने यह तक नहीं कहा कि बाबा आप नहीं तो दीदी ही सही और दीदी नहीं तो मइया ही सही, बस यही चोट खा गया परिवार और सकते में आ गया।
दो चार जो इस खानदान की बगल में दबे पड़े रहते हैं, वे भी झूठ-मूठ का ही नाटक करते रहे लेकिन मुखर होकर कोई नहीं बोला कि बाबा आपके बिना तो हम अनाथ हो जाएंगे, आपके बिना भी जीना, कोई जीना है, लो हम भी आपके साथ ही धूणी रमा लेंगे। दिन में ही तारों का जमावड़ा आँखों के सामने आ गया, चक्कर से आ गये और तीनों लोकों के दर्शन एक साथ ही हो गये। रोज पूरा परिवार एक ही छत के नीचे एकत्र होता है, समस्या का कोई हल नहीं निकल पाता है लेकिन समस्या का विकराल रूप सामने आ-आकर डराने लगता है।
आखिर तीन दिन पहले विचार आया कि क्यों ना एक बार धमकी और दी जाए। धमकी दी कि मैं रूठ गया और तुम मनाने भी नहीं आये, मैं वापस आ रहा हूँ! पूरी पार्टी में भूचाल सा आ गया, बाबा की वापसी? इद्दी-पिद्दी को कहा गया कि इस्तीफा दो और कचरे के ढेर सा इस्तीफे का पुलिन्दा इकठ्ठा हो गया। बाबा ने कहा कि इस कचरे के ढेर का करूँ तो क्या करूँ! फिर समस्या वहीं की वहीं। 
बाबा अब दोराहे पर खड़े हैं, उन्हें थामने वाला कोई नहीं है। वापसी भी कर लेंगे तो इज्जत की वापसी कैसे होगी! पंजाब में तो मुझे पहले ही अमरिन्दर सिंह घुसने नहीं देता, अब तो राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी घुसने के लाले पड़ जाएंगे! इन दोनों को ही मैं बली का बकरा बनाना चाह रहा था लेकिन इन्होंने गर्दन को ऊपर-नीचे किया ही नहीं, बस पेण्डुलम की तरह चलाते रहे! 
वैसे भी कमलनाथ तो डेढ़ स्याणा है, 1984 में जमकर खून खराबा भी करा दिया और अब मुख्यमंत्री भी बनकर बैठ गया। अपने बेटे को भी चुनाव जिता दिया, यह अब मेरे चाळे क्या लगेगा! और वह अशोक गहलोत! दिखने में ही मेमना लगता है लेकिन है बहुत घाघ, मैंने साफ-साफ कहा कि तेरे बेटे के कारण हम हारे हैं लेकिन बन्दा टस से मस नहीं हुआ! 
बहना के नाम पर भी कोई आवाज नहीं उठी! एक बार में ही उसकी इज्जत का फलूदा निकल गया! थोथे चने जैसी पच करके फूट गयी! उसने भी हद ही कर दी थी, उसे मोदी को ऐसा नहीं बोलना चाहिये था! अब इतनी अक्ल तो उसमें होनी ही चाहिये थी कि मेरे देखा-देखी ना करे, मुझे तो सभी जानते हैं कि मैं एक नम्बर का गया गुजरा हूँ, लोग बस झेल रहे थे, लेकिन बहना को तो ध्यान रखना ही चाहिये था! जीजा के कारण लोग वैसे ही खाल उतारने को तैयार बैठे थे और इसने सूखी घास में तीली लगा दी!
लेकिन इतना बड़ा साम्राज्य ऐसे ही छोड़ा नहीं जा सकता है, इतने सारे इस्तीफों का जो ढेर लगा है, उसे ही बहाना बना लिया जाए कि लोग कितना प्यार करते हैं, मुझे! वापस लौट चलते हैं अपने सिंहासन पर। इज्जत की ऐसी-तैसी, वैसे भी कौन सी है! जेल में सड़ने से अच्छा है कि बे-गैरत होकर सिंहासन पर वापस बैठ जाता हूँ। ममा से भी नहीं पूछ सकता क्योंकि सत्ता जहर है, वह तो पहले ही यह बता चुकी हैं। उहापोह में पड़े हुए हैं बाबा! वापसी का कोई रास्ता दिखायी दे नहीं रहा है! 
उधर से तस्वीरे आ रही हैं मोदी की! पुतिन उनको सुनने को उतावला हो रहा है, ट्रम्प भी कैसे बैठा था मोदी के सामने! शी जिनपिंग ने भी दोस्ती का हाथ थाम रखा था। मोदी जापान में ऐसे घूम रहा था जैसे सबका नेता वही हो! मैं तो चींटी बराबर भी नहीं हूँ इसके सामने, मुझे अब कोई भी मसल देगा! हे यीशू मसीह अब तू ही पार लगा। मैं जाऊँ तो कहाँ जाऊँ? तेरी तरह सूली पर लटकना नहीं चाहता, अफलातून सा घूमना चाहता हूँ। ना कोई जिम्मेवारी हो और ना ही जवाबदेही बस राज ऐसा हो। इसबार मुश्किल घड़ी है, दीदी का बुलावा नहीं है, मैया का भी नहीं है, बस मैं कुरुक्षेत्र में अकेला खड़ा हूँ! दया कर प्रभु!

You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, or trackback from your own site.

Leave a Reply