अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

आपके जीवन में मैं हूँ

Written By: AjitGupta - Oct• 17•13

कड़कड़ाती ठण्‍ड हो, हम अपने आपमें ही सिमट रहे हों और कोई बाहें अपनी सी उष्‍मा देने को दिखायी नहीं दे रही हो तभी ऐसे में सूरज की गुनगुनी धूप आपको उष्मित कर दे तब आप झट से सूरज की ओर ताकेंगे, उसी समय सूरज मुस्‍कराता हुआ आपसे कहे कि तुम्‍हारे जीवन में मैं हूँ, वह क्षण आपके लिए अनमोल होगा।

जब आप उमस से बेहाल हो, पसीने से तरबतर हों और बेचैनी में कोई मार्ग दिखायी नहीं दे रहा हो, उस समय कहीं से मेघ घिर आएं और अपनी बूंदों से आपको सरोबार कर दें, तब आप मेघों को कितने अपनेपन से देखेंगे? मेघ भी आपको मुस्‍कराकर उत्तर दें कि आपके जीवन में मैं हूँ, तब आपके लिए दुनिया कितनी रंग-बिरंगी हो जाएगी।

जब आप मरूस्‍थल में भटक रहे हों, भूख और प्‍यास से बेहाल हों, दूर-दूर तक कोई छाया तक ना हो और उसी समय आपके पैरों के नीचे छाया आ जाए और जब आप सर उठाकर देखें तो सामने एक फलों से लदा वृक्ष हो तब आपकी भूख और प्‍यास को आराम मिल जाएगा। आप जैसे ही आभार देने के लिए मुँह खोलेंगे तभी वृक्ष आपको कहे कि आपके जीवन में मैं हूँ, तब वह क्षण आपके जीवन के सारे रेगिस्‍तान दूर कर देगा।

जब आप अकेलेपन का त्रास भुगत रहे हों, एकान्‍त को ही अपनी नियति मान लिया हो, दूर-दूर तक केवल इंतजार हो तब अचानक ही प्रेममयी बाहें लेकर आपका पुत्र आपके समक्ष आ जाए और धीरे से आपके कान में कह दे कि आपके जीवन में मैं हूँ तब????????????

 

(इस सुख ने इतना विभोर किया कि लेखन से दूर कर दिया, इसी आत्‍ममुग्‍धता के साथ आपके समक्ष अपना दिल रख दिया है। 15 दिन पुणे में बच्‍चों के साथ कुछ क्षण बिताने का संयोग मिल गया तो सारी दुनिया से दूरी बन गयी।)

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13 Comments

  1. ARUN DAGA says:

    BAHUT KHUB

  2. Hema. says:

    दिल को छू गयी येबाते ,मुझे भी इंतजार है,इन पलो का ,जो जीवन में अनमोल होते हैै़।।

  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति…!

    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (18-10-2013) “मैं तो यूँ ही बुनता हूँ (चर्चा मंचःअंक-1402) पर भी होगी!

    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर…!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

  4. as says:

    bahut badhiya. badhai!

  5. t s daral says:

    जी सचमुच , बच्चों से दूर रहकर बच्चों की और भी याद आती है. एक मां के लिये बच्चों से मिलना और भी सुखदायी होता है .

  6. माँ के मन के सहज भाव शब्दों में ढले हैं ….शुभकामनायें आपको

  7. आज तो आपने कविता रच दी , बड़े प्यारे भाव हैं . . बधाई !

  8. वन्दना गुप्ता says:

    और कितनी सुन्दरता से आपने ये बात रखी है ………ये पल आपके जीवन मे हमेशा बने रहें।

  9. AjitGupta says:

    अमेरिका से मृदुल कीर्ति जी की ईमेल से प्राप्‍त टिप्‍पणी –

    और जब किसी भाव विशेष से मन आप्त हो
    धूप – छाँव , चाँद- सूरज, पवन न पर्याप्त हो,
    अनकही को मुखर करना , चाह ऐसी हो बनी ,
    आपके जीवन में मैं हूँ , मित्र है सम्पति घनी।

  10. बड़ी खूबसूरती से मन की बातें अभिव्यक्त कर दी है…सब बने रहें जीवन में ऐसे ही हम्मेशा

  11. धन्य है वो पल जब कोई कहे कि आपके जीवन में मैं हूँ ….. ।ये पल हमेशा रहे जीवन में …शुभकामनायें

  12. dnaswa says:

    ऐसी दूरी से अगर इतना प्यार मिले तो मंजूर है ये दूरी …
    जीवन में प्रेम से बढ़ कर कुछ नहीं …

  13. संतान लायक हो तो अपने जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी देती है !
    खुशियाँ बरकरार रहे , शुभकामनाएँ !

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