अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

आप डरना बन्द करिये

Written By: AjitGupta - Aug• 12•19

हम डरे हुए लोग हैं! क्यों डर रहे हैं! यह बात किसी को नहीं पता, पर डर रहे हैं। कल जम्मू कश्मीर के राज्यपाल का डर निकलकर बाहर आया। हरियाणा के मुख्यमंत्री का बयान विवादित भी माना गया और धमकाने के लिये पर्याप्त भी बना। आखिर ऐसी क्या नौबत आ गयी कि बिना जाँचे-परखे, सीधे ही धमकी दे दी गयी कि प्रधानमंत्री से शिकायत करूंगा! इसका कारण है हमारी रगों में बहता हुआ डर। हमारी बहन-बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ हुआ, कोई नहीं बोला। किसी को लगा भी नहीं कि यह क्या हो रहा है। आज भी दर्द नहीं होता। लेकिन जरा सी मजाक क्या हो गयी लोग सहिष्णु बन गये। नहीं कोई मजाक भी नहीं। यह डर है जो हमें एक कौम के प्रति सिखाया गया है। जिन्ना डायरेक्ट एक्शन लेकर लाखों का कत्लेआम करता है, विभाजन के समय लाखों का फिर कत्लेआम होता है। डर पैदा करने की भरपूर कोशिश की जाती है। पुराने इतिहास में भी कत्लेआम के अतिरिक्त कुछ नहीं है, मन्दिरों की एक-एक मूर्ति को तोड़ने का इतिहास है। चेहरे से ही क्रूरता टपकनी चाहिये, जिससे दुनिया डरकर रहे, इसके लिये दाढ़ी बढ़ायी गयी, मूंछे भी काट डाली जिससे डरावनापन ज्यादा उभरकर आए। सिख कौम भी इसी डर को समाप्त करने के लिये अस्तित्व में आयी। 
घर में भी देखा होगा, कभी नयी बहु आती है, आते ही तूफान मचा देती है, सब डरने लगते हैं। जब भी उस बहु की बात आए लोग डर जाएं और कहें कि करने दो जो करती है। शरीफ व्यक्ति को कहा जाए कि डरकर रहो, कहीं नाराज ना हो जाए। दामाद भी यही करते रहते थे पहले, डर का वातावरण बनाकर चलते थे ससुराल में। सास-ससुर भी डर का वातावरण बनाकर चलते थे। हमारे देश में एक कौम ने डर का वातावरण बना दिया है। यह डर आज का नहीं है, यह शुरूआती ही है। कोई भी आक्रांता आया इसी डर को साथ लाया और स्थापित करके गया। हमारी देश की माटी में कभी भी किसी ने डर को नहीं उपजाया। हमेशा अभय की बात की। जीवदया की बात की। अनेकान्त की बात कही। स्यादवाद की बात कही। लेकिन इसके विपरीत प्रभु से भी डरने की बात विदेशियों ने की, जबकि हमने कहा कि प्रभु आपसे प्रेम करते हैं, इनसे डरिये मत। हमने मानव के रूप में उन्हें अवतरित किया और कभी बाल रूप में प्रेम किया तो कभी युवा रूप में तो कभी माँ स्वरूप में। बस प्रभु से प्रेम करना सिखाया। 
मोदीजी ने इसी डर पर वार किया है। पहले तीन तलाक के रूप में फिर 370 धारा के रूप में। कश्मीर में डरने की जरूरत नहीं है, डर को बाहर करिये। कश्मीर के लोग हमारे ही हैं और जो हमारे होते हैं हम उनसे मजाक भी करते हैं उन्हें छेड़ते भी हैं। आपस में हँसी-मजाक का वातावरण बनाइए ना कि छोटी-छोटी बातों से डर को अपने अन्दर महसूस करने की। हम डराने वाले लोग नहीं हैं लेकिन अब डर को भी बाहर निकाल दीजिये और ना ही हम भोगवादी समाज हैं जो महिला का सम्मान नहीं करेंगे। साथ रहकर कुछ लोगों में भोगवाद घर कर गया है लेकिन हमारा समाज त्याग को ही महत्व देता है। इसलिये सभी को निश्चिंत रहने की जरूरत है, हमारे देश का मूल समाज प्रत्येक महिला के अन्दर अपनी बहन-बेटी और माँ का ही रूप देखता है। डरिये मत, डर को दूर करने का समय आ गया है। जितना आप डरेंगे उतना ही कुछ लोग आपको डराने का प्रयास करेंगे। सहज बनकर रहिये। प्रेम सिखाइये। वे सब अपने हैं, प्रेम सीख जाएंगे, बस आप डरना बन्द करिये। 

You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, or trackback from your own site.

Leave a Reply