स्मार्ट फोन हर किसी को ललचाता है, मोबाइल पर जिन्हें sms तक का पता नहीं वे ठाट से स्मार्ट फोन लेकर घूमते हैं और सीधे-सादे लोगों को भी ललचाते हैं। इसके पास है और मेरे पास नहीं, यह तो इज्जत का फलूदा बनने जैसी बात है। आखिर खरीद लिया हमने भी स्मार्ट फोन। पड़ोसी के फोन पर झांक कर देखा कि आखिर यह करता क्या है सारा दिन! फेसबुक का नाम सुना था, पूछ लिया कि भाई यह होता क्या है? अरे तू फेसबुक पर नहीं है! घोर आश्चर्य! मेरा भी अकाउण्ट बना दे ना यार। पड़ोसी ने अकाउण्ट बना दिया, लेकिन अब करे तो क्या करें?
कभी किसी भगवान की फोटो डाली तो कभी खुद की ही डाल दी। फिर सेल्फी लेना भी आ गया, अब तो फोटोज डालना और भी आसान हो गया। धीरे-धीरे लोगों को पढ़ना शुरू किया और लाइक करना सीख लिया। कुछ ही दिनों में कॉपी पेस्ट तक जा पहुँचे लेकिन लिखना ही सबसे दुरूह कार्य लगा। ऐसे आड़े समय फिर पड़ोसी काम आया, उसने बताया कि यार लिखने की कहाँ जरूरत है, कॉपा-पेस्ट से काम चला। अब तो समाज में इनका नाम भी चलने लगा है. कहीं भी जाते हैं तो कई लोग कह ही देते हैं – वाह भाई क्या लिखते हो!
इन सारे लिख्खाड़ों को हम झेल रहे हैं जी। जैसे भूसे के ढेर में सुई ढूंढी जाती है वैसे ही असली लेखक को ढूंढा जाता है। सारा दिन मोबाइल को घुमाते रहते हैं और बामुश्किल दो-चार लेखक हाथ लगते हैं। जय हो स्मार्ट फोन।
जय हो स्मार्ट फोन
Written By: AjitGupta
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Jul•
09•16
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जय हो! 🙂
आभार रतलामी जी