अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

ब्राह्मण की पोथी लुटी और बणिये का धन लुटा

Written By: AjitGupta - Sep• 15•17

हम बनिये-ब्राह्मण उस सुन्दर लड़की की तरह हैं जिसे हर घर अपनी दुल्हन बनाना चाहता है। पहले का जमाना याद कीजिए, सुन्दर राजकुमारियों के दरवाजे दो-दो बारातें खड़ी हो जाती थी और तलवार के जोर पर ही फैसला होता था कि कौन दुल्हन को ले जाएगा? तभी से तो तोरण मारने का रिवाज पैदा हुआ था। हिन्दू समाज में बणिये और ब्राह्मण की स्थिति आज ऐसी ही है। ये भी हमारे समाज के सुन्दर और समृद्ध चेहरे हैं, इन पर ही आक्रान्ताओं की नजर सदैव से रहती है। युद्ध के बाद हमेशा ये ही लुटते हैं। इनके पास ही वैभव एकत्र है और इनके पास ही सुन्दरता है और ये ही समाज की दुर्बल कड़ी भी है। इन पर सारी दुनिया की नजर रहती है। बस इन्हें अपने समाज में मिला लो, हमारा समाज समृद्ध हो जाएगा, यही सोच सभी की रहती है। आसान शिकार भी यही हैं, जब असम में लूट मचती है तो सेठों को ही लूटा जाता है। जितने भी युद्ध हुए हैं उसमें बणिये-ब्राह्मण ही लुटे है। बाकी के पास तो लुटने के लिये था ही क्या और यदि था भी तो साथ में उनके पास तलवार भी थी अपनी रक्षा के लिये। युद्ध किसने लड़े? क्षत्रियों ने लड़े। सैनिक कौन बने? राजपूत, जाट, गुर्जर, आदिवासी आदि। युद्ध में कोई भी जीते या हारे, लड़ते हमेशा क्षत्रीय थे लेकिन लुटते हमेशा ही बणिये-ब्राह्मण थे।
छठी शताब्दी में सिन्ध पर मोहम्मद बिन कासिम का आक्रमण हुआ, उसने किसका कत्लेआम किया? ब्राह्मणों का। एक-एक को चुन-चुनकर मारा, लाखों का कत्लेआम किया। आज जो सिन्धी दिखायी देते है ना, वे सब ब्राह्मण थे। सिकन्दर ने किसे लूटा? गजनी ने किसे लूटा? बाबर ने किसे लूटा? अकबर ने किसे लूटा? औरंगजेब ने किसे लूटा? विभाजन में कौन लुटा? कश्मीर में कौन लुटा? आज भी जब दंगे होते हैं तो कौन लुटता है? ब्राह्मण की पोथी लुटी और बणिये का धन लुटा। सदियों से यही हो रहा है। इतिहास में क्या दर्ज है? इतने मण जनेऊ जली और इतने दिन पुस्तकालय जले। इतने मण सोना-चाँदी लूटे गये और इतने मण हीरे-जवाहरात लूटे गये। राजवंश कटे-मरे लेकिन लूट बणिये-ब्राह्मणों की हुई।
इसलिये सुरक्षा के लिये विचार किसे करना चाहिये? आज सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने की जरूरत आन पड़ी है, सामाजिक सुरक्षा समाज का ही उत्तरदायित्व है। जिस समाज के पास हथियार की ताकत नहीं है, उन समाजों को दूसरों को अपनी ताकत बनाना होता है। हमें भी आज समाज के उन योद्धाओं को जो हमारी सुरक्षा में सक्षम है, ताकतवर और सुविधा सम्पन्न बनाना होगा। उनसे आत्मीयता बढ़ानी होगा। समाज के बिखराव को दूर करना हमारा ही उत्तरदायित्व है, इसी में हमारा बचाव है। जो लोग हिन्दू समाज पर घात लगाए बैठे हैं, वे इन जातियों के हमसे दूर करना चाहते हैं, जिससे हम एकदम कमजोर हो जाएं। पैसे और ज्ञान के बलबूते हम सुरक्षित नहीं रह सकते, सुरक्षा के लिये योद्धा जातियों को अपने साथ रखना ही होगा। अब तय आप को करना है कि बणिये-ब्राह्मण इन जातियों से दूरी बनाकर रखे या अपना रक्षक मानते हुए इन्हे सम्मान दें।

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