अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for May, 2017

माँ को भी जीने का अधिकार दे दो

इन दिनों सोशल मीडिया में माँ कुछ ज्यादा ही गुणगान पा रही है। हर ओर धूम मची है माँ के हाथ के खाने की। जैसै ही फेसबुक खोलते हैं, एक ना एक पोस्ट माँ पर होती है, उसके खाने पर होती है। मैं भी माँ हूँ, जैसे ही पढ़ती हूँ मेरे ऊपर नेतिक दवाब बढ़ने […]

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कितने घोड़ों को कुशल सवार मिलता है?

जब में नौकरी में थी और मुझे विश्वविद्यालय की एक मीटिंग में फेकल्टी सदस्य के रूप में जाना था। मेरी वह पहली ही मीटिंग थी और फिर अंतिम भी हो गयी। मीटिंग के दौरान ही मुझे समझ आ गया था कि मेरा अधिकार मुझ से छीन लिया जाएगा। अब आपको अपनी टीम में क्यों रखा […]

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#तीनतलाक – पुरुषों को पारिवारिक निर्णय से वंचित किया जाए

आज अपनी बात कहती हूँ – जब मैं नौकरी कर रही थी तब नौकरी का समय ऐसा था कि खाना बनाने के लिये नौकर की आवश्यकता रहती ही थी। परिवार भी उन दिनों भरा-पूरा था, सास-ससुर, देवर-ननद सभी थे। अब यदि घर की बहु की नौकरी ऐसी हो कि वह भोजन के समय घर पर […]

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पैसे से घर फूंकना

मैंने अपने मोबाइल का प्लान बदलवा लिया है, पोस्टपेड से अब यह प्री-पेड़ हो गया है। 395 रू. में 70 दिन के लिये मेरे पास 2 जीबी डेटा प्रतिदिन हैं और 3000 मिनट कॉल बीएसएनएल पर तथा 1800 मिनट कॉल अन्य फोन पर है। मैं बीएसएनएल का विज्ञापन नहीं कर रही हूँ, बस यह बताने […]

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कस्तूरी मृग है – माँ

कस्तूरी मृग का नाम सुना ही होगा आप सभी ने। कहते हैं कुछ हिरणों की नाभि में कस्तूरी होती है और कस्तूरी की सुगंध अनोखी होती है। हिरण इस सुगंध से बावरा सा हो जाता है और सुगंध को सारे जंगल में ढूंढता रहता है। उसे पता ही नहीं होता है कि यह सुगंध तो […]

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