जब भी किसी महिला को खिलखिलाकर हँसते देखती हूँ तो मन करता है, बस उसे देखती ही रहूँ। बच्चे की पावन हँसी से भी ज्यादा आकर्षक लगती है मुझे किसी महिला की हँसी। क्योंकि बच्चा तो मासूम है, उसके पास दर्द नहीं है, वह अपनी स्वाभाविक हँसी हँसता ही है लेकिन महिला यदि हँसती हैं […]
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झूठी शान से मुक्त होता पुरुष
झूठी शान से मुक्त होता पुरुष कुछ लोग अलग मिट्टी से बने होते हैं, उनकी एक छोटी सी सोच उन्हें सबसे अलग बना देती है। कल केबीसी के सेट पर खिलाड़ी थी – अनुराधा, लेकिन मैं आज बात अनुराधा की नहीं कर रही हूँ। मेरी बात का नायक है अनुराधा का पति – दिनेश। कुछ […]
Read the rest of this entry »ब्राह्मण की पोथी लुटी और बणिये का धन लुटा
हम बनिये-ब्राह्मण उस सुन्दर लड़की की तरह हैं जिसे हर घर अपनी दुल्हन बनाना चाहता है। पहले का जमाना याद कीजिए, सुन्दर राजकुमारियों के दरवाजे दो-दो बारातें खड़ी हो जाती थी और तलवार के जोर पर ही फैसला होता था कि कौन दुल्हन को ले जाएगा? तभी से तो तोरण मारने का रिवाज पैदा हुआ […]
Read the rest of this entry »human values / nuisance values
human values / nuisance values विवेकानन्द के पास क्या था? उनके पास थे मानवीय मूल्य। इन्हीं मानवीय मूल्यों ( human vallues) के आधार पर उन्होंने दुनिया को अपना बना लिया था। लेकिन एक होती है nuisance value (उपद्रव मूल्य) जो अपराधियों के पास होती है, उस काल में डाकुओं के पास उपद्रव मूल्य था। सत्ता […]
Read the rest of this entry »एक विपरीत बात
मुझे आज तक समझ नहीं आया कि – a2 + b2 = 2ab इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है? यह फार्मूला हमने रट लिया था, पता नहीं अब ठीक से लिखा गया भी है या नहीं। बीजगणित हमारे जागतिक संसार में कभी काम नहीं आयी। लेकिन खूब पढ़ी और मनोयोग से पढ़ी। ऐसी ही […]
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