अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for August, 2018

इन मेहंदी से सजी हथेलियों के लिये

कभी आपने जंगल में खिलते पलाश को देखा है? मध्यम आकार का वृक्ष अपने हाथों को पसारकर खड़ा है और उसकी हथेलियों पर पलाश के फूल गुच्छे के आकार में खिले हैं। गहरे गुलाबी-बैंगनी फूल दप-दप करते वृक्ष की हथेली को सुगन्ध से भर देते हैं। एक मदमाती गन्ध वातावरण में फैल जाती है। जंगल […]

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बहन की मुठ्ठी में सम्मान रख दो

कई बार आज का जमाना अचानक आपको धक्का मारता है और आप गुजरे हुए जमाने में खुद को खड़ा पाते हैं, कल भी मेरे साथ यही हुआ। बहने सज-धज कर प्रेम का धागा लिये भाई के घर जाने लगी लेकिन भाई कहने लगे कि आज तो बहनों को कुछ देना पड़ेगा! कुछ यहाँ लिखने भी […]

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#कुम्भलगढ़ जब बोल उठा

एक सुन्दर सी पेन्टिंग मेंरे सामने थी, लेकिन मुझे उसमें कुछ कमी लग रही थी। तभी दूसरी पेन्टिंग पर दृष्टि पड़ी और मन प्रफुल्लित हो गया। एक छोटा सा अन्तर था लेकिन उस छोटे से बदलाव ने पेन्टिंग में जीवन्तता भर दी थी। खूबसूरत मंजर था, हवेली थी, पहाड़ था, बादल था, सभी कुछ था […]

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यह भी बलात्कार का ही मामला है

अमेरिका में मैंने देखा कि वहाँ पर हर प्राणी के लिये नियत स्थान है, मनुष्य कहाँ रहेंगे और वनचर कहाँ रहेंगे, स्थान निश्चित है। पालतू जानवर कहाँ रहेंगे यह भी तय है। मनुष्यों में भी युवा कहाँ रहेंगे और वृद्ध कहाँ रहेंगे, स्थान तय है। भारत में सड़क के बीचोंबीच बैठी गाय और सड़क पर […]

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डिजिटल होते स्वर्ग

कोई आपको फोलो करने को कहे और एक के बाद एक आदेश दे कि अब यह करे और अब यह करें! आप क्या करेंगे? मेरी दो राय है, यदि महिला है तो फोलो आसानी से करेगी, फिर चाहे वह किसी भी आयु की क्यों ना हो लेकिन यदि पुरुष है और उम्रदराज हो गया है […]

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