अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for December, 2018

पधारो म्हारा देश या?

आखिर हमारे छोटे शहर सैलानियों का बढ़ता आवागमन क्यों नहीं झेल पाते हैं? अब आप मेरे शहर उदयपुर को ही ले लीजिए, शहर में बीचों-बीच झीलें हैं तो झीलों से सटी पहाड़ियों पर भी बसावट है। पुराने शहर में सड़के संकरी भी हैं और पार्किंग की जगह ही नहीं है। उदयपुर के पैलेस तक जाना […]

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रूमाल ढूंढना सीख लो

न जाने कितनी फिल्मों में, सीरियल्स में, पड़ोस की ताकाझांकी में और अपने घर में तो रोज ही सुन रही हूँ, सुबह का राग! पतियों को रूमाल नहीं मिलता, चश्मा नहीं मिलता, घड़ी नहीं मिलती, बनियान भी नहीं मिलता, बस आँखों को भी इधर-उधर घुमाया तक नहीं कि आवाज लगा दी कि मेरा रूमाल कहाँ […]

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दरबार में कितने रत्न?

बिना घुमावदार घाटियों पर घुमाए अपनी  बात को सीधे ही कहती हूँ, एक टीवी सीरीयल आ रहा है – चन्द्रगुप्त मौर्य, उसमें चाणक्य है, धनानन्द है और हैं चन्द्रगुप्त। इतिहास की दृष्टि से विवादित है लेकिन एक बात जिसने मेरा ध्यान खेंचा और लिखने पर मजबूर किया वह है – चन्द्रगुप्त 15 वर्षीय युवक है, […]

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काश हम एक नहीं अनेक होते

काश हम एक ही नहीं होते तो कम से कम सुरक्षित तो रहने की सम्भावनएं बनी रहती। अभी भी कुछ टुकड़े हो जाएं तो बचाव का मार्ग बचा रह सकता है नहीं तो सारा हिन्दुस्थान नाम लेने को भी नहीं बचेगा।

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शेष 20 प्रतिशत पर ध्यान दें

40 प्रतिशत इधर और 40 प्रतिशत उधर, शेष 20 प्रतिशत या तो नदारद या फिर कभी इधर और कभी उधर। सत्ता का फैसला भी ये ही 20 प्रतिशत करते हैं, ये सत्ता की मौज लेते रहते हैं। सत्ताधीशों को अपने 40 प्रतिशत को तो साधे रखना ही होता है लेकिन साथ में इन 20 प्रतिशत […]

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