न जाने कितनी फिल्मों में, सीरियल्स में, पड़ोस की ताकाझांकी में और अपने घर में तो रोज ही सुन रही हूँ, सुबह का राग! पतियों को रूमाल नहीं मिलता, चश्मा नहीं मिलता, घड़ी नहीं मिलती, बनियान भी नहीं मिलता, बस आँखों को भी इधर-उधर घुमाया तक नहीं कि आवाज लगा दी कि मेरा रूमाल कहाँ […]
Read the rest of this entry »