अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for April, 2019

मेरी अंगुली की स्याही ही मेरा लोकतंत्र है

एक जमाना था जब अंगुली पर स्याही का निशान लगने पर मिटाने की जल्दी रहती थी लेकिन एक जमाना यह भी है कि अंगुली मचल रही है, चुनावी स्याही का निशान लगाने को! कल उदयपुर में वोट पड़ेंगे, तब जाकर कहीं अंगुली पर स्याही का पवित्र निशान लगेगा। देश में लोकतंत्र है, इसी बात का […]

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सौगात किस-किस ने भेजी!

मैं चोरी-छिपे तुझे सौगात भेजूँ और तू है कि सबको ढोल बजाकर बता दे कि दीदी ने सौगात भेजी है! तू देख, अब मैं तुझे कंकर वाले लड्डू भेजूंगी। दीदी नाराज क्यों होती हो? कोई भी सौगात भेजे तो उसे बताने पर तो उसका सम्मान ही बढ़ता है ना! कहीं ऐसा तो नहीं है कि एक […]

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भारत की नाक तेरी जय हो

भारत की नाक और दादी की नाक का संघर्ष होते-होते रह गया! नाक को नापने जितना भी समय नहीं दिया गया! हमने तो अरमान पाल रखे थे कि दो नाकों का महायुद्ध होगा और भारत की नाक भारी पड़ेगी या फिर दादी की नाक! लेकिन हाय री किस्मत ऐसा कुछ नहीं हुआ! दिल के अरमां […]

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राजनीति से भी बाहर आ जाओ ना

टीवी रूम में रिमोट के लिये हर घर में उठापटक मची रहती है, घर के मर्द के पास रिमोट ना हो तो मानो मर्दानगी ही रुक्सत हो गयी हो, ऐसे में घर की स्त्री भी किसी ना किसी बहाने आँख दिखाकर रिमोट पर कब्जा करती दिख ही जाती है, बच्चे तो रिमोट पर अपना हक […]

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तेरा अब न्याय होगा

कोई किसी महिला से पूछे कि तेरा नाम क्या है? तेरा उपनाम क्या है? तेरा देश क्या है? तो महिला सोचने का समय लेगी। क्यों लेगी! इसलिये लेगी कि विवाह के बाद उसका कहीं नाम बदल जाता है, उपनाम तो बदल ही जाती है और कभी देश भी बदल जाता है। इसलिये वह सोचती है […]

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