अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for July, 2019

डर पर पहला प्रहार

मैं एक बार महिलाओं के बीच बुलाई जाती हूँ, महिलाएं मुस्लिम थीं। वे अनपढ़ लेकिन कामगार भी थीं। महिलाएं कहने लगी कि हम तलाक-तलाक-तलाक से कब निजात पाएंगे? मेरे पास उत्तर नहीं था लेकिन समझ आने लगा था कि महिलाओं की यह तड़प एक दिन क्रान्ति का सूत्रपात अवश्य करेगी। मैं मूलत: चिकित्सक भी रही […]

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ये असली बुद्धीजीवी

इस देश में सदा से ही बुद्धीजीवियों का बोलबाला रहा है, इस पर कुछ लोगों का कब्जा रहता है। हमने भी कभी नहीं सोचा कि हम बुद्धीजीवी हैं लेकिन कुछ संस्थाओं ने यहाँ अपनी नाक घुसड़ने की सोची और करने लगे गोष्ठियाँ। प्रबुद्ध सम्मेलन, बौद्धिक सम्मेलन आदि आदि। जब उसमें बुलावा आता तो हम भी […]

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आखिर प्रेम का गान जीत ही गया

एक फालतू पोस्ट के  बाद इसे भी पढ़ ही लें। लोहे के पेड़ हरे होंगे तू गान प्रेम का गाता चल यह कविता दिनकर जी की है, मैंने जब  पहली बार पढ़ी थी तब मन को छू गयी थी, मैं  अक्सर इन दो लाइनों को गुनगुना लेती थी। लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ बदलने लगा और लगा […]

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एक फालतू सी पोस्ट

जिन्दगी में आप कितना बदल जाते हैं, कभी गौर करके देखना। बचपन से लेकर जवानी तक और जवानी से लेकर बुढ़ापे तक हमारी सूरत ही नहीं बदलती अपितु हमारी सोच भी बदल जाती है। कई बार हम अधिक सहिष्णु बन जाते हैं और कई बार हम अधीर। बुढ़ापे के ऐप से तो अपनी फोटो मिलान […]

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सन्नाटा पसर रहा है, कुछ करिये

इतना सन्नाटा क्यों है भाई! आजकल  पूरे देश में यही सवाल पूछा जा रहा है। जिस देश को कॉमेडी शो देखने की लत लगी हो, भला उसके बिना वह कैसे जी पाएगा! हमारे लेखन के तो मानो ताले ही नहीं खुल रहे हैं, सुबह होती है और कोई सरसरी ही नहीं होती! हम ढूंढ रहे […]

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