ब्लाग लिखने से पूर्व नेट पर हिन्द-युग्म जैसी कुछ साइट की पाठक थी। हिन्द-युग्म पर कभी दोहे की और कभी गजल की कक्षाएं चलती थी। मैं इन दोनों विधाओं की बारीकियां समझने के लिए इन कक्षाओं के पाठ नियमित पढ़ने की कोशिश करती थी। लेकिन टिप्पणी नहीं करती थी। दोहे की कक्षा आचार्य संजीव सलिल […]
Read the rest of this entry »