अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for the 'मन' Category

मन की किवड़िया खोल

आपका मन आपसे बाते करने को कितना मचलता है? कभी कर भी लेता है तो क्‍या संतुष्‍ट हो पाता है? नहीं ना। स्‍वयं से कितनी ही बातों कर लो लेकिन मन तो करता है कि ऐसा कोई अपना हो, आत्‍मीय हो, जिससे हम अपने मन की बातें कर सकें। बचपन में सबकुछ पारदर्शी था, किसी […]

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मन को जानना सबसे बड़ी साधना है, क्‍या आप यह कर पाए?

दुनिया को जानने का दम्‍भ रखने वाले हम, क्‍या स्‍वयं को भी जान पाते हैं? कभी आत्‍मा को जानने का प्रयास तो कभी परमात्‍मा को खोजने का प्रयास, कभी सृष्टि को समझने का प्रयास तो कभी मानवीय जगत को परखने का प्रयास करते हुए म‍हर्षि भी कभी बोध तो कभी ज्ञान तो कभी केवल ज्ञान […]

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