अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

क्‍या यहाँ तुम्‍हारी नाल गड़ी है?

क्‍या यहाँ तुम्‍हारी नाल गड़ी है? यह प्रश्‍न भी कितना अजीब है! माँ की कोख में जब जीवन-निर्माण हो रहा था तब नाभिनाल ही तो थी जो हमें पोषित कर रही थी और जीवन दे रही थी। जन्‍म के बाद इसका अस्तित्‍व समाप्‍त ही हो जाता है लेकिन इस जीवन दायिनी नलिका को सम्‍मान भी […]

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तृतीय खण्‍ड – विवेकानन्‍द राजस्‍थान में

तृतीय खण्‍ड – गतांक से आगे – स्‍वामी विवेकानन्‍द के लिए राजपुताने का महत्‍व सर्वाधिक रहा है। राजपुताना ही ऐसा प्रदेश था जहाँ उन्‍होंने व्‍यापक स्‍तर पर बौद्धिक चर्चाएं प्रारम्‍भ की। सभी वर्गों और सभी सम्‍प्रदायों को अपने ज्ञान से अभिभूत किया। उनके पास राजा भी नतमस्‍तक हुए और रंक भी, उनके पास हिन्‍दु भी […]

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