अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

इस पाले की – उस पाले की या नोटा की भेड़ें

चुनाव भी क्या तमाशा है, अपनी-अपनी भेड़ों को हांकने का त्योहार लगता है। एक खेत में कई लोग डण्डा गाड़कर बैठ जाते हैं और भेड़ों को अपनी-अपनी तरफ हांकने लगते हैं। भेड़ें भी जानती हैं कि उन्हें किधर मुँह करके बैठना है। आजकल कुछ भेड़ें कहने लगी है कि मैं किसी मालिक को नहीं मानती, […]

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