अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

जैसा निर्माण वैसा कर्म

मेरे पिताजी ने अपनी बगिया में कुछ आम के पेड़ लगाये। अलग-अलग कलम से किस्म-किस्म के आम। ये आम हम भाई-बहन थे। औरों का तो पता नहीं लेकिन मुझे अपना पता है कि वे मुझे क्या बनाना चाहते थे, मुझे किस किस्म की कलम से तराशा गया था। जब किसी पेड़ पर लंगड़ा आम लगने […]

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