अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

गमले में सिमटी माँ बौन्जाई बनाती है, वटवृक्ष नहीं

आपने कभी वटवृक्ष देखा है, कितना विशाल होता है! उसे जितनी धरती का आँचल मिलता है, वह उतना ही विशाल होता जाता है। लेकिन कुछ आधुनिक लोग आजकल वटवृक्ष को भी गमलों में रोपने लगे हैं और आपने देखा होगा कि उनका आकार सीमित हो जाता है, वे लगते तो वटवृक्ष ही हैं लेकिन उनकी […]

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