अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

ना नौलखा हार और ना ही बगीचा!

नौलखा हार की कहानी तो सभी को पता है, कैसे एक माँ ने नकली हार के सहारे अपना बुढ़ापा काटा और उसकी संतान इसी आशा में सेवा करती रही कि माँ के पास नौलखा हार है। यह कहानी संतान की मानसिकता को दर्शाती है लेकिन एक और कहानी है जो समाज की मानसिकता को बताती […]

Read the rest of this entry »

आपके जीवन में मैं हूँ

कड़कड़ाती ठण्‍ड हो, हम अपने आपमें ही सिमट रहे हों और कोई बाहें अपनी सी उष्‍मा देने को दिखायी नहीं दे रही हो तभी ऐसे में सूरज की गुनगुनी धूप आपको उष्मित कर दे तब आप झट से सूरज की ओर ताकेंगे, उसी समय सूरज मुस्‍कराता हुआ आपसे कहे कि तुम्‍हारे जीवन में मैं हूँ, […]

Read the rest of this entry »