अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

पुरुषों की स्‍वतंत्रता

  अभी एक टिप्‍पणी पढ़ी, “शादी के बाद भी आप हँस रहे हैं, यह क्‍या कम है?” प्रतिदिन ऐसी ही ढेरों बातों से हमारा साक्षात्‍कार होता है। विवाह को बंधन, स्‍वतंत्रता छीननेवाला, गुलाम बनाने वाला आदि आदि कहा जाता है। पत्‍नी सभी के लिए मुसीबत होती है। मैं एक विवाह समारोह में थी, पति अपनी […]

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