अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

कल तक थे चार पुरुषार्थ लेकिन अब हैं पाँच

पूछ कर देखो किसी से कि तुम क्‍या चाहते हो? वह बस यही कहेगा कि कुछ नहीं बस थोड़ा सा सुख चाहता हूँ, बस एक मुठ्ठी सुख। यह प्रश्‍न हजारों वर्षों से लोगों को मथ रहा है। हमारे ॠषी-मुनि इस पर न जाने कितने व्‍याख्‍यान दे चुके हैं, कितनी व्‍याख्‍या कर चुके हैं, लेकिन फिर […]

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