अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

प्रेम की सूई दिखायी देती नहीं

मैं जब भी अपनों के बीच होती हूँ, मन करता है ढेर सारी बाते करूँ। वापस से बचपन के हर क्षण को याद करूं। बातें-बातें और बातें बस पुरातन की, जो क्षण रेत की तरह हमारे हाथ से फिसल गये है, उनसे जीने का आनन्द लूँ, लेकिन ऐसा होता नहीं। लगने लगा है कि वर्तमान […]

Read the rest of this entry »

सम्‍मान – प्रेम को नष्‍ट और द्वेष को आकृष्‍ट करता है

इन दिनों अन्‍य शहरों में आवागमन बना रहा, इसकारण दिमाग के विचारों का आवागमन बाधित हो गया। नए-पुराने लोगों से मिलना और उनकी समस्‍याएं, उनकी खुशियों के बीच आपके चिंतन की खिड़की दिमाग बन्‍द कर देता है। जब बादल विचरण करते हैं तब वे सूरज के प्रकाश को भी छिपा लेते हैं, ऐसा ही हाल […]

Read the rest of this entry »

प्रेम का अभाव और असभ्‍यता का उदय

जिस दिन आपके मन से स्‍वत:स्‍फूर्त प्रेम समाप्‍त होने लगेगा उसी दिन से आप असभ्‍य होने लगेंगे। असभ्‍यता ना केवल आपके लिए अपितु सम्‍पूर्ण मानवता और सृष्टि के लिए अभिशाप बन जाएगी। इसका सटीक उदाहरण यदि देखना है तो किसी दुर्घटना के समय देखा जा सकता है। जब कुछ लोग धन के लालच में दुर्घटनाग्रस्‍त […]

Read the rest of this entry »