अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

भ्रष्टाचार का प्रथम गुरु

बचपन की कुछ बाते हमारे अन्दर नींव के पत्थर की तरह जम जाती हैं, वे ही हमारे सारे व्यक्तित्व का ताना-बाना बुनती रहती हैं। जब हम बेहद छोटे थे तब हमारे मन्दिर में जब भी भगवान के कलश होते तो माला पहनने के लिये बोली लगती, मन्दिर की छोटी-बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिये […]

Read the rest of this entry »