अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

मेरे पहलवान को अखाड़े में नहीं उतारा तो????????

पहले गाँवों में एक अखाड़ा होता था, वहाँ पहलवान आते थे और लड़ते थे। जब दंगल होते थे तो गाँव वाले भी देखने आ जाते थे नहीं तो पहलवान तो रोज ही कुश्ती करते थे। जैसे ही पहलवान अखाड़े से बाहर आया वह अपनी दुनिया में रम जाता था। वह हर जगह को अखाड़ा नहीं […]

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