अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

यही अन्तर है पूरब और पश्चिम का

कभी-कभी ऐसा भी होता है जब आपके पास कहने को या लिखने को कुछ होता है लेकिन आप लिख ही नहीं पाते हैं! बस यही सोचकर रह जाते हैं कि पहले नकारात्मक पक्ष लिखा जाए या पहले सकारात्मक पक्ष, और इसी उधेड़बुन में गाड़ी छूट जाती है। खैर आज सोच ही लिया की अब और […]

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