अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

बिना अभिव्‍यक्ति, व्‍यक्ति बौना

स्‍वयं को अभिव्‍यक्‍त करने के लिए व्‍यक्ति आदिकाल से ही भटक रहा है। व्‍यक्ति स्‍वयं को पहचानना चाहता है, अपने अन्‍दर छिपी प्रतिभा को जानना चाहता है और मन क्‍या चाहता है इससे जानकर वही कार्य करना चाहता है। लेकिन कितने होते हैं जो इस लगन में स्‍वयं को शामिल कर पाते हैं? अक्‍सर तो […]

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