अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

तृतीय खण्‍ड – विवेकानन्‍द राजस्‍थान में

तृतीय खण्‍ड – गतांक से आगे – स्‍वामी विवेकानन्‍द के लिए राजपुताने का महत्‍व सर्वाधिक रहा है। राजपुताना ही ऐसा प्रदेश था जहाँ उन्‍होंने व्‍यापक स्‍तर पर बौद्धिक चर्चाएं प्रारम्‍भ की। सभी वर्गों और सभी सम्‍प्रदायों को अपने ज्ञान से अभिभूत किया। उनके पास राजा भी नतमस्‍तक हुए और रंक भी, उनके पास हिन्‍दु भी […]

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