बहुत दिनों पूर्व एक कहानी पढ़ी थी, अकस्मात उसका स्मरण हो आया। कहानी कुछ यूँ थी – एक व्यक्ति एक गाँव में जाता है, एक परिवार का अतिथि बनता है। उस परिवार में विवाह योग्य एक लड़की है लेकिन वह बहुत ही कमजोर और बीमार से थी इस कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा […]
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हम अपनी छवि में कैद हैं
कभी आप बेहद उदास हैं, उदासी भी आपकी निजी है। मन करता है कि दुनिया को बता दें कि आप क्यों उदास हैं फिर लगने लगता है कि आपने तो दुनिया के सामने एक छवि बनायी थी कि आप बेहद सुखी हैं। उसका क्या होगा? हम अपनी छवियों में कैद हैं, कभी लगता है कि […]
Read the rest of this entry »जनजातीय गाँव – 2
मौसम कुछ-कुछ खुशगवार था, सोचा कि किसी गाँव में घूम आया जाए। अभी भुटटो का भी मौसम था तो सोचा गया कि किसी के खेत पर जाकर ताजे भुट्टो का मजा लिया जाए। उदयपुर से तीस किलोमीटर की दूरी पर बसा था एक गाँव अलसीगढ़। वहाँ एक पानी का बंधा भी था तो पानी का […]
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