तथाकथित किसान या दलाल आन्दोलन ने कई भ्रम तोड़ दिये हैं। जब भी कोई नया सम्प्रदाय अस्तित्व में आता है तब वह अपनी संख्या बढ़ाने के लिये तलवार भी उठा लेता है। विश्व में अनेक देशों का उदय तलवार के दम पर ही हुआ। लेकिन जिस सम्प्रदाय का जन्म देश और समाज बचाने के लिये […]
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राजतंत्र की भेड़ें
जी हाँ हम राजतंत्र की भेड़े हैं, गडरियाँ हमें अपनी मर्जी से हांकता है। विगत 6 सालों से देश में लोकतंत्र को स्थापित करने के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन हर बार राजतंत्र किसी ना किसी रूप में हम भेड़ों को घेरकर अपनी ओर ले जाता है। सदियों से हम राजतंत्र के अधीन रहे […]
Read the rest of this entry »हमने देखा नाग-लोक
माया-सभ्यता, नाग-लोक जैसे नाम हम बचपन से ही सुनते आए हैं। तिलस्मी दुनिया का तिलस्म हमारे सर चढ़कर बोलता रहा है। चन्द्र कान्ता संतति सका सबस् बड़ा उदाहरण है। लेकिन कल माया-सभ्यता और नाग-लोक को देखकर आँखें विस्फारित होकर रह गयी! माया-सभ्यता और नाग-लोक मिला भी तो कहाँ – अमेरिका में! डिस्कवरी चैनल पर ग्वाटेमाला […]
Read the rest of this entry »एक पक्षी की कुटिया
अपने आसपास से इतर आखिर दुनिया क्या है? हमारी सोच से परे आखिर दुनिया की सोच क्या है? दुनिया देखने के लिये झोला लेकर, दुनिया की सैर तो नहीं की जा सकती है बस टीवी ही हमें दुनिया दिखा देती है। मनुष्यों की दुनिया कमोबेश एक जैसी है, वही सत्ता का संघर्ष, वही अहंकार का […]
Read the rest of this entry »खिलौनों का संसार
अमेरिका में हम एक परिवार से मिलने गये, कुछ देर में ही बात चल पड़ी खिलौनों पर! वे आपस में पूछ रहे थे कि तुम्हारे बच्चे के पास कौन सा खिलौना है? अभी नया खिलौना जो बाजार में आया है, वह खरीदा है या नहीं! मैं आश्चर्यचकित थी कि खिलौने भी आपके रहन-सहन की सीमा […]
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