हम युद्ध क्यों करते हैं? एक देश दूसरे देश से युद्ध क्यों करता है? क्या हमें पता नहीं है कि युद्ध में मृत्यु ही प्राप्य है? यदि कोई ऐसा देश हो या छोटा समाज हो जिसकी सम्भावना जीत हो ही नहीं फिर भी वह युद्ध क्यों करता है? अपने स्वाभिमान को बचाने के लिये हम युद्ध करते हैं, मरना ही हमारी नियति है यह जानकर भी हम युद्ध करते हैं। यह गुण मनुष्य में ही नहीं हैं अपितु हर प्राणी में हैं, इसलिये हर प्राणी युद्ध करता है। अब कोई कहे कि युद्ध करना आत्महत्या है तो उसे क्या कहेंगे? उसे हम कहते हैं गुलामों की तरह जीवित रहना। युद्ध की तरह ही जौहर भी आत्महत्या नहीं है मेरे गुलाम मानसिकता के मित्रों। जौहर जब किया जाता था जब सारे ही प्रयास समाप्त हो जाते थे और पता होता था कि सामने वाला हमारा दुरूपयोग करेगा, हमसे ही ऐसे संसार की रचना कराएगा जो मानवता के लिये घातक हो, तब महारानियां जौहर करती थी। कुछ पैसों के लिये अपनी सोच को गिरवी रखने वाले जौहर को समझ ही नहीं सकते, वे जीवित रहने को ही महान कार्य समझ बैठे हैं।
रानी पद्मिनी को समझना हो तो राजस्थान आओ और राजस्थान में भी मेवाड़ में आओ, यहाँ के कण-कण में उनके लिये नमन है। यदि उन्होंने जौहर नहीं किया होता और खुद को मुगल सल्तनत के हाथों सौंप दिया होता तो मेवाड़ का इतिहास लिखने और पढ़ने को नहीं मिलता। चित्तौड़ ने कितने युद्ध देखे हैं, क्यों देखे हैं? क्योंकि यहाँ स्वाभिमान था, जीवित रहने की लालसा नहीं थी। आज कुछ लोग या कुछ सिरफिरे लोग कह रहे हैं कि रानी लक्ष्मी बाई महान थी, हाँ वे महान थी लेकिन जिस दिन कोई फिल्मकार उनके चरित्र को बिगाड़ने के लिये फिर फिल्म बनाएगा तब आप लक्ष्मी बाई के चरित्र पर भी ऐसे ही हमले करोगे और फिर लिखोंगे कि युद्ध करना आत्महत्या होती है और इनसे अच्छी तो हमारी हिरोइने हैं जो हमेशा शान से जीती हैं। ये कलाकार कुछ पैसों के लिये अपना ईमान बेच देते हैं और हम इन्हें देखने के लिये मरने लगते हैं, क्या ये कलाकार हमारे परिवार पर भी घृणित फिल्म बनाएंगे तब भी हम इनको पसन्द करते रहेंगे? इसलिये जौहर क्या है और युद्ध क्या है. इसे समझो फिर अपनी मानसिकता का सबूत दो। पद्मिनी वह रानी थी जिसने युद्ध से ही रतनसिंह का वरण किया था और खिलजी की कैद से रतनसिंह को आजाद कराया था। इसलिये इस पवित्र इतिहास पर अपनी गन्दी दृष्टि मत डालो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि जीवन का मतलब ही युद्ध होता है और हम हर पल स्वाभिमान को बनाए रखने के लिये युद्ध करते हैं। यदि फिल्मकार घोषित करता कि मैं रानी पद्मिनी की वीरता पर फिल्म बना रहा हूँ तब सभी स्वागत करते लेकिन उसने ऐसा घोषित नहीं किया। इसका अर्थ है कि उसकी नियत ठीक नहीं है और जिसकी भी नीयत ठीक नहीं हो उसको स्वाभिमान का पाठ पढ़ाना आवश्यक है।
क्या युद्ध भी आत्महत्या है?
Written By: AjitGupta
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Nov•
15•17
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जीवन का मतलब ही युद्ध होता है और हम हर पल स्वाभिमान को बनाए रखने के लिये युद्ध करते हैं।
yo my name is aryan and i am so awesome you guys cant beat me in anything. and that is true. this whole thing took me 20 SECONDS
http://bulletinofblog.blogspot.in/2017/11/2017-9.html