बधाई! देश के उन सभी देशवासियों को बधाई जो स्वयं को किसी दायरे में बाँधने को कभी तैयार नहीं है। मोदीजी फ़िट मूवमेंट चलाते हैं और हम रस्सी तोड़कर भागने का जुगत बिठा लेते हैं। मोदीजी क़ानून बना देते है कि सड़क पर ग़ाडी दौड़ाने के लिये नियमों का पालन करना पड़ेगा नहीं तो हर्ज़ाना देना होगा। मेरी जूत्ती देगी हर्ज़ाना, हुंअ! मेरा बच्चा भी गाड़ी दौड़ाएगा और किसी को मारेगा भी, तुम कौन मुझे रोकने वाले! हमने फिर समाधान ढूँढ लिया! पुलिसवालों खा जाएँगे जुर्माना! पुलिसवाले तो जब खाएँगे ना जब आप क़ानून तोड़ेंगे! वाह हम दुनिया के सबसे प्राचीन सभ्यता वाले लोग भला किसी क़ानून में बँधने के लिये है? मैं तो नहीं लगाऊँगा हेलमेट।
बधाई तो बनती ही है, हिम्मत की दिलेरी की। एक कहानी याद आ गयी, एक चोर था, जुलाहे के घर में घुस गया चोरी करने। जुलाहे ने खिड़की के पास अपना ताना-बाना रखा था, चोर की आँख में घुस गया। चोर की एक आँख गयी। चोर राजा के पास पहुँच गया बोला कि न्याय दो। मेरा काम चोरी करना है और इस जुलाहे के कारण मेरी आँख फूट गयी। राजा ने कहा की बात उचित है, जुलाहे की एक आँख फोड़ दी जाए!
बेचारा जुलाहा बोला कि न्याय राजन! मैं जुलाहा हूँ और दोनों आँख से ही ताना-बाना बुनता हूँ, एक बार इधर देखना पड़ता है और दूसरी बार उधर। राजा ने कहा की यह भी उचित बात है। फिर सुझाव आया कि गली के नुक्कड़ पर जो मोची बैठता है वह एक तरफ़ देखकर ही जूती गाँठता है तो उसकी एक आँख निकाल ली जाए! न्याय पूरा हुआ।
चोरी जायज़ है, सड़क पर गाड़ी दौड़ाने में कोई नियम नहीं होने चाहिये इसलिये कैसा जुर्माना! मोदी ने फ़िट करने की सारी कोशिशों को धता बताने के लिये बधाई। हम दुनिया में अनूठे हैं, भला हम किसी क़ानून में बँधने के लिये हैं! नहीं हैं , आप महान संस्कृति के वाहक हैं भला आपके लिये क़ानून! कदापि नहीं। परम्परा जारी रखिये, विरोध की परम्परा टूटनी नहीं चाहिये। यह देश हमेशा आपका ऋणि रहेगा।
हमारे पूर्वज हमेशा जंगलों में रहते आए हैं, हमने कोई नियम नहीं माने और अब मोदी राज्य में नियम! चोरी मत करो, रिश्वत मत लो, कालाधन नहीं चलेगा, गाड़ी ऐसे चलाओ, वैसे चलाओ, अब हम अपनी इच्छा से जिए भी नहीं! तुम सरकार चलाओ और हमें परिवार चलाने दो। हम नहीं मानते क़ानून। देशवासियों क्या कहते हो तुम कि वे क़ानून थोपेंगे लेकिन तुम चोरी पर अड़े रहना। देश के महान नागरिकों, तुम्हें अपने बच्चे से इतना डर लगता है कि तुम उसे गाड़ी की चाबी देने से मना नहीं कर सकते। बिल्कुल ठीक है। आख़िर तुम परिवार वाले हो, वे क्या जाने बच्चे का मोह! तुम तो माँग करो कि हमारे बच्चे से कोई मर भी जाए को इसे पुरस्कार मिलना चाहिये। बधाई आप सभी को। कभी मत बँधना क़ानून से, तुम हर क़ानून से बड़े हो।
तुम हर क़ानून से बड़े हो
Written By: AjitGupta
-
Sep•
03•19
You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, or trackback from your own site.
असल में समस्या यही है कि जिन्हें जो देखना है वो वही और सिर्फ वैसा ही देख्नेगे जैसे उन्हें देखना है | ग्लास किसी को आधा भरा हुआ और किसी को आधा खाली दिखाई देता है | असल में नज़रिया सकारात्मक होना चाहिए विरोध ,अविश्वास ,सब बाक़ी दीगर बातें हैं | यहां लोग चेहरा देख कर ये भूल जाते हैं कि कथ्य क्या है इसके पीछे का उद्देश्य क्या है |
देश को उत्साहित अपर प्रेरित करने के लिए ऐसे अधिक कोई राजनेता क्या कर सकता है भला | बहुत अच्छा लिखा आपने साधुवाद
अजय जी आभार। आपके प्रयास से पुराने दिन वापस लौट आएं तो कितना अच्छा होगा।