अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

बेटा बोला कि माँ मैं आपको मिस कर रहा हूँ

Written By: AjitGupta - Apr• 13•10

ज्‍योतिष को मैं मानती हूँ लेकिन उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने देती। मुझे लगता है कि बस कर्म करो, आपको फल मिलेगा ही। लेकिन पता नहीं क्‍यों इन दो-चार दिनों से मुझे लग रहा है कि दिन अच्‍छे आ गए हैं। इसलिए अच्‍छे दिनों को भी आप सभी से बाँट लेना ही चाहिए। क्‍यों ठीक है ना? अभी चार-पाँच दिन पहले अचानक मेरी पोस्‍ट पर महफूज का संदेश पढ़ने को मिला ‘मम्‍मा मैं आ गया हूँ’ ऐसा लगा कि स्‍त्री को पीछे धकेलकर आज माँ विराजमान हो गयी है। जैसे ही माँ का भाव आता है, ममता तो पिछलग्‍गू सी आ ही जाती है। बहुत अच्‍छा लगा कि मेरा रूखा-सूखा व्‍यक्तित्‍व माँ में बदल गया। अभी मैं इस शब्‍द के नशे में डूब-उतर ही रही थी कि एक चिन्‍ताजनक समाचार भी मिल गया। बेटे के सर्जरी होनी है, बेटा अमेरिका में है और मेरी टिकट मई के प्रथम सप्‍ताह की है। प्री-पोण्‍ड कराने का प्रयास किया लेकिन नहीं हुआ। बेटे ने कहा कि चिन्‍ता मत करो, कुछ दिनों बाद तो आप आ ही रही हैं। वैसे भी विशेष कोई बात नहीं है, सब ठीक हो जाएगा। सर्जरी कल हो गयी और वह घर भी आ गया। जब भारत में रात के चार बज रहे थे तब अमेरिका में दिन के साढे तीन बज रहे थे, इसलिए घर पहुंचकर उसने फोन नहीं किया। अभी सुबह होते ही मैंने फोन लगाया, फोन क्‍या स्‍काई पे पर ही बात की। वेब-केमरा ऑन था तो उसे देख भी लिया। लेकिन इस पोस्‍ट को लिखने का जो मकसद है और जो भूमिका मैंने बनायी थी उसी बात पर मैं आ रही हूँ। मैंने जीवन के 58 बसन्‍त देख लिए हैं। शादी को भी 33 साल हो रहे हैं लेकिन एक वाक्‍य से कभी पाला नहीं पड़ा। मुझे किसी ने नहीं कहा कि मैं तुम्‍हें मिस कर रहा था। लेकिन आज बेटा बोला कि मैं आपको मिस कर रहा था। तो मुझे लगा कि महफूज ने जो मुझे माँ का दर्जा दिया था कहीं उसी ममता की खुशबू तो उस तक भी नहीं जा पहुंची? आप गलत मत समझना, मेरा बेटा मुझे बहुत प्‍यार करता है, बस अभिव्‍यक्ति उसके खून में ही नहीं है तो वो भी क्‍या करे? मैंने उससे कहा कि बेटा आज का दिन तो मेरे लिए इतिहास में दर्ज हो गया है, जब तू बोला तो सही। वो भी हँसने लगा और उसके पिताश्री भी। तो क्‍या वास्‍तव में जब दर्द होता है तब केवल माँ ही याद आती है?

जब आज का युवा ‘महफूज’ से लेकर ‘पुनीत’ तक ( ये दोनों ही मेरे बेटे हैं) माँ के आँचल की तलाश कर रहे है तब हम क्‍यों केवल स्‍त्री ही बनकर अपने दुखों का पिटारा खोल कर बैठ गए हैं? मैं आज आनन्‍दित हूँ कि अब बेटे माँ को मिस करने लगे हैं। उन्‍हें माँ के आँचल की, उसके हाथों की याद आने लगी है। बस मैं इसी भाव को पकड़े रहना चाहती हूँ। आज का युवा स्‍त्री में आनन्‍द ढूंढ रहा है, उसे यदि हम अपने प्‍यार से आनन्‍द की सच्‍ची परिभाषा समझा सकेंगे तब शायद हमारा मातृत्‍व सफल हो जाएगा। निहायत ही निजी बात को मैंने आप सभी से शेयर किया है बस इसीलिए कि शायद हम फिर से माँ बन जाएं? हमारे बेटे एक बार नहीं बार-बार कहें कि माँ मैं तुझे मिस कर रहा हूँ।

विशेष – मैं दो दिन के लिए आज ही जयपुर जा रही हूँ,  समयाभाव के कारण शायद जयपुर में भी आपसे सम्‍पर्क में नहीं रह सकूं। इसलिए दिनांक 16 अप्रेल को ही मिलेंगे।

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78 Comments

  1. सतीश सक्सेना says:

    "मुझे किसी ने नहीं कहा कि मैं तुम्‍हें मिस कर रहा था।"
    "प्यार" किसे नहीं चाहिए ? सब कुछ यहीं है !

  2. जी.के. अवधिया says:

    "अब बेटे माँ को मिस करने लगे हैं। उन्‍हें माँ के आँचल की, उसके हाथों की याद आने लगी है।"

    सिर्फ जुबान से कहने पर 'मिस करना' होता है क्या? हम तो अपनी स्वर्गवासी माँ को हमेशा 'मिस करते' रहते हैं। बेटों को तो माँ के आँचल के सहारे की जरूरत जन्म भर रहती ही है।

  3. संगीता पुरी says:

    बहुत बढिया .. आपको बधाई !!

  4. Mired Mirage says:

    बेटे के स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ। इतनी दूर बैठ कितनी परेशान रही होंगी।
    प्यार है तो दिखाना भी चाहिए। मैं तो अभिव्यक्ति में विश्वास करती हूँ और चाहती हूँ कि मेरे अपने भी करें। आपके अपने भी नित ही आपको दर्शाएँ कि वे आपको चाहते हैं।
    घुघूती बासूती

  5. ताऊ रामपुरिया says:

    बहुत मार्मिक और स्नेहिल आलेख, शुभकामनाएं.

    रामराम

  6. mamta says:

    अच्छा लगा पढ़कर। और इस प्यारे से अनुभव को सबसे बांटने के लिए शुक्रिया।

  7. पी.सी.गोदियाल says:

    "मेरा बेटा मुझे बहुत प्‍यार करता है, बस अभिव्‍यक्ति उसके खून में ही नहीं है तो वो भी क्‍या करे?"

    बड़ी बात कही आपने , माता-पिता ही शायद इस बात को समझ लेते है !

    ".. मैं आज आनन्‍दित हूँ कि अब बेटे माँ को मिस करने लगे हैं। उन्‍हें माँ के आँचल की, उसके हाथों की याद आने लगी है। "

    ज़रा सा कहीं पर कोई खरोंच लगे या उंगली मुड जाए तो भी बेटा माँ को तो "ओई माँ" कहकर मिस करता ही रहता है!

  8. मनोज कुमार says:

    इसे पढकर सात-आठ मिनट से सोच रहा हूँ क्या टिप्पणी करूँ। कुछ पोस्ट सिर्फ़ मह्सूस किया जा सकता है, उस पर टिप्पणी करते नहीं बनता। बस एक गाना मन में बजता चला जा रहा है
    "मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में ……"

  9. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  10. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  11. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  12. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  13. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  14. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  15. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  16. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  17. रंजना [रंजू भाटिया] says:

    दिल से महसूस करने वाली पोस्ट है यह ..शुभकामनाएं

  18. rashmi ravija says:

    यह तो सही कहा, तकलीफ में माँ जरूर याद आती है…वैसे भी पुरुष जाति, अभिव्यक्ति में हमेशा से कमजोर रहें हैं…कम ही कह पाते हैं वे,अपनी मन की बातें…चलिए बेटे ने कहा तो सही…और अब बिलकुल स्वस्थ है….शुभकामनाएं

  19. खुशदीप सहगल says:

    पुरुष कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, एक बच्चा उसमें हमेशा बना रहता है…ज़िंदगी की जंग में वक्त वक्त पर खुद को टूटने से बचाने के लिए उसे भावनात्मक सहारे की ज़रूरत होती है…ये कंधा मां, बहन, पत्नी, दोस्त किसी का भी हो सकता है…लेकिन मां का आंचल हमेशा ये भरोसा देता है कि ज़माने की हर बला से वो बचा लेगा…बस यही फर्क है कि हम बच्चों को मां की परेशानी में ज़्यादा याद आती है और मां बच्चों को हमेशा याद करती रहती है…

    महफूज़ को वैसे भी इस ममता की बहुत ज़रूरत है जिससे वो खुद को कभी अकेला न समझे…

    पुनीत के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना…वैसे आप उससे कितनी भी दूर क्यों न हो लेकिन आपके वात्सल्य की छांव उस तक हमेशा पहुंचती रहती होगी…

    जय हिंद…

  20. श्रद्धा जैन says:

    post padh kar man bheeg gaya…

    maa.N ko to sabhi miss karte hain…Puneet ab behatar feel kar rahe honge aasha hai

  21. Archana says:

    सबकी माँ,
    हाँ भाई हाँ,
    माँ तो माँ,
    बोले न कभी – ना,
    दिल पुकारे गा-
    उई-माँ,उई-माँ,
    मन को गयी भा,
    उनको भी दो ला,
    जिनकी ना हो माँ,
    खुश हों वो भी पा,
    जीवन भर करे–हा,हा,हा।

  22. sangeeta swarup says:

    अजीत जी ,
    आज आपकी पोस्ट पढ़ कर मुझे भी यही एहसास हुआ की बेटे शायद अपने मन की बात खुले दिल से अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं…बस हम अपने हिसाब से ही उनकी भावनाओं को समझते और सोचते रह जाते हैं…आपको ये अवसर आखिर मिल ही गया कि बेटे ने कहा कि वो आपको मिस कर रहा है…हम माएं भी कितनी छोटी छोटी बात से अभिभूत हो उठती हैं ना….आपके ये एहसास मन में घर कर गए….बधाई

  23. कविता रावत says:

    Maa kee mamta se bhara hai aapka lekh….Maa jaisa pyar bhala es jahan mein aur kahan milta hai…..
    Blog par aakar mujhe bhi ahsaas hua ki yahan apne pariwar ke sabhi sadasya maujood hain… bahut achha lagta hai jab mujhe badon ka sneh bhare bol sunne ko milte hain aur chhoton ka pyar milta hai…
    Maa apko hamari bhi shubhkamnayne..

  24. चंदन कुमार झा says:

    यही तो जीवन है

  25. Mukesh Kumar Sinha says:

    bahut khub!! ma'm!! dil ko chhune wali ………:)
    kabhi hamare blog pe aayen!!
    http://www.jindagikeerahen.blogspot.com

  26. Anil Pusadkar says:

    हमने नही देखा उसको कभी,
    पर उसकी जरुरत क्या होगी,
    ऐ मां,ऐ मां तेरी सूरत से अलग,
    भगवान की सूरत क्या होगी,क्या होगी.

  27. Udan Tashtari says:

    माँ के अहसासों की सुन्दर बानगी.

    आप कब अमेरीका आ रही है? कनाडा आने का भी प्लान करें? अपना अमेरीका का फोन नम्बर भेजियेगा.

  28. ajit gupta says:

    समीरजी
    मैं 4 मई को अमेरिका आ रही हूँ, सेनफ्रांसिको के पास सेनोजे में। मैं वहाँ पहुंचकर आपको नम्‍बर देती हूँ क्‍योंकि पुनीत अभी एलए है और वो एक तारीख को शिफ्‍ट होगा। कनाडा आने का मन है लेकिन इस बार बेटे की सर्जरी के कारण ही नहीं आना होगा। लेकिन अगली बार अवश्‍य कार्यक्रम बनाऊँगी अब तो वहाँ आपका और अदाजी का घर जो हो गया है। हम भारतीय तो घर ढूंढते हैं होटल नहीं।

  29. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक says:

    आपकी जयपुर यात्रा मंगलमय हो!
    हमें आपकी प्रतीक्षा रहेगी!

  30. aradhana says:

    कितनी अजीब बात है. मैंने आज ही अपनी पोस्ट में माँ के प्यार न दिखाने की बात की है…प्यार की अभिव्यक्ति होनी चाहिये. ये बात सकारात्मक है कि अब लोग इसे समझने लगे हैं, चाहे वो माँ-पिता हों या बेटे-बेटियाँ.
    बीमार होने पर सबसे पहले माँ ही याद आती है, मुझे भी. आपके पुत्र के लिये शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करूँगी.

  31. Arvind Mishra says:

    शुभ यात्रा !

  32. 'अदा' says:

    लेकिन अगली बार अवश्‍य कार्यक्रम बनाऊँगी अब तो वहाँ आपका और अदाजी का घर जो हो गया है। हम भारतीय तो घर ढूंढते हैं होटल नहीं।

    अरे अजीत जी, क्या बात कह दी आपने….हम तो बस पढ़ कर ही झूम गए….बस आप तो आ ही जाइए, यह घर जिसमें हम रहते है वो भी पवित्र हो जाएगा…
    पुनीत को जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ हो …यही प्रार्थना करते हैं….और आपकी यात्रा सफल हो…यही दुआ करती हूँ…

  33. आशीष/ ASHISH says:

    Ek aur kadam aage hai mera apni maa ke saath rishta!
    Janna chahengi kaise?
    Padhiye:
    A bachelor in Punjab!
    Aur haan, agar ek aur beta god le sakteen hain to main haazir hoon!

  34. डॉ टी एस दराल says:

    ममता से परिपूर्ण पोस्ट।
    बच्चों के लिए मां और मां के लिए बच्चे सदैव सरोपरी होते हैं।

  35. मो सम कौन ? says:

    डा. साहिबा,
    इस पोस्ट को पढ़कर महसूस हो रहा है कि छोटा सा वाक्य भी किसी को कितना छू सकता है। वैसे हम भी अपने मां-बाप को मिस तो बहुत करते हैं, पर अभिव्यक्त नहीं कर पाते है, आदत ही नहीं है बस।
    पुनीत जी के स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।

  36. रश्मि प्रभा... says:

    mere bachche mujhe miss karte….aur yahi meri zindagi hai

  37. sandeep sharma says:

    mam
    हर आदमी की यही कहानी है… मैंने हर ऐरे-गिरे को आई लव यू बोल दिया, पर अपनी माँ, पापा, छोटे भाई, बड़े भाई को कभी नहीं बोल सकता.. होसला भी नहीं है दिल भी नहीं…. बहुत साल पहले शहर से पहली बार अलग होने के बाद माँ से फ़ोन पर बात करने से पहले प्रक्टिस करनी पड़ती थी… कही बात करते करते रोना न आ जाये… उन्ही की याद आने के कारन नोकरी छोड़कर घर चला गया… पर बहाना यह था की पानी सूट नहीं किया..
    उन्हें कभी नहीं कह पाया… और कह भी नहीं पाउँगा की तुम्हारी याद आती है…

    आपकी पोस्ट ने दिल के भाव निकाल कर रख दिए…

  38. dhiru singh {धीरू सिंह} says:

    मै भी अपनी मां को मिस करता हू हमेशा .

  39. Vivek Rastogi says:

    बिल्कुल सही कहा कि बेटे हमेशा अपनी भावना प्रदर्शित नहीं कर पाते जैसे कि पिता नहीं कर पाते और मैं यह पिता बनने के बाद ही समझ सका और अब ये संवादीय दूरी कम करने में प्रयासरत हूँ।

    आपके बेटे बहुत ही भाग्यशाली हैं जो आप जैसी माँ मिली हैं। नमन आपको

  40. ई-गुरु राजीव says:

    अब हम अपनी माताश्री को पिछले कई दिनों से गूगल बज़ पर खूब कोस रहे हैं, बड़ा ही मज़ा आ रहा है.
    जिस दिन उनको पता चला न, उसी दिन घर से भगाए जायेंगे. 🙂
    आप तो जाइए घूम ही आइये. शुभकामनाएं.

  41. वाणी गीत says:

    जब बच्चे मां को मिस करते हैं …उसका मातृत्व सफल हो जाता है …
    महफूज़ से मेरा ऐसा ही बहन का रिश्ता है …मेरे भाई नालायक (:)) दीदी कहते ही नहीं है …सीधे नाम से बुलाते हैं …डांट खाते रहेंगे मुझसे मगर जब मुझे कोई तकलीफ हो तो सबसे पहले हाज़िर …

    आज का युवा स्‍त्री में आनन्‍द ढूंढ रहा है, उसे यदि हम अपने प्‍यार से आनन्‍द की सच्‍ची परिभाषा समझा सकेंगे तब शायद हमारा मातृत्‍व सफल हो जाएगा….

    हाँ …अगर युवा माँ सिर्फ शब्दों में नहीं कह रहा हो …मन में माँ जैसा सम्मान भी रखता हो …वर्ना लोग कहने को तो माँ कह दे और उसके लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करे कि इंसानियत भी शर्मसार हो जाये …ऐसे में तो वही लोग अच्छे जो बिना किसी संबोधन के भी आपका आदर और सम्मान दे सकें …!!

  42. विनोद कुमार पांडेय says:

    माँ और पिता के समान तो कोई हो ही नही सकता ..माँ और पिता जीवन के हर सुख और दुख में याद आते है….पुनीत भैया के सुखद लाभ की कामना करता हूँ..भैया जल्द ही ठीक हो जाए…..

  43. अजय कुमार झा says:

    डा साहिबा ,
    आपने रुला दिया आज । मैं भी जब से घर से दूर हुआ था तो एक आदत सी बन गई थी कि कोई खुशी हो या गम मां की याद बहुत आती थी और ये बात मैं मां को बता भी देता था बावजूद इसके कि मुझे पता था कि वो रोने लगती थी । अब जबकि मां मेरे पास नहीं है , तो खुद ही रो लेता हूं । मां से बढकर कुछ नहीं होता इस दुनिया में ..जिसके पास नहीं होती उससे बेहतर और कौन बता सकता है इसे ।जाईये बेटे के पास हमारी शुभकामनाएं आपके और पुनीत के साथ हैं

  44. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  45. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  46. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  47. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  48. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  49. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  50. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  51. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  52. सुलभ § सतरंगी says:

    बच्चे चाहे कितने ही बड़े बूढ़े क्यों न हों, उनको उम्र भर माँ की जरुरत होती है.

    आपने दिल का हाल लिखा अच्छा लगा.

  53. शरद कोकास says:

    आपने तो आज सचमुच माँ की याद दिलादी .. मै भी अपनी माँ को बहुत मिस कर रहा हूँ । बहुत साल हो गये उन्हे गये…..।

  54. Shekhar kumawat says:

    bahut sundar
    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

  55. अनामिका की सदाये...... says:

    उसे यदि हम अपने प्‍यार से आनन्‍द की सच्‍ची परिभाषा समझा सकेंगे तब शायद हमारा मातृत्‍व सफल हो जाएगा। …

    sach me kitni badi aur gahri baat kitni saadgi se kah di…apki is soch aur is kalam ke hunar ko salaam.

    aap apne bete puneet k paas ja rahi hai. aapka ullas aur uha-poh ki sthiti ka andaza laga sakti hu. aapki post hamesha padhne ki koshish karti hu par SLIP ho jati hai..so follower ban gayi hu 🙂

    aapki yaatra mangalmay ho.

  56. ajit gupta says:

    अनामिका जी
    बस अभी-अभी जयपुर से लौटी हूँ, आप सभी की टिप्‍पणियों से मार्गदर्शन मिलता है। आप सभी को बहुत आभार।

  57. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  58. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  59. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  60. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  61. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  62. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  63. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  64. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  65. अरुणेश मिश्र says:

    पाखण्ड चाहे ज्योतिष . धर्म या समाज से सम्बधित हो , उसका उच्छेदन अनिवार्य है . इस हेतु आपको बधाई ।

  66. pallavi trivedi says:

    प्यार कभी कभी अभिव्यक्ति भी चाहता है….अच्छा लगा आपको पढ़कर!

  67. महफूज़ अली says:

    मम्मा ….. आपके प्यार से मैं अभिभूत हूँ…. बस कुछ कह नहीं पा रहा हूँ…. आँखों में आंसू हैं…. मैं कल सुबह आपको फ़ोन करूँगा….. बिजी था इसलिए आज ही यह पोस्ट देख पाया….पुनीत भैया के जल्द स्वस्थ की कामना करता हूँ……. मम्मा….बहुत रोना आ रहा है….

  68. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  69. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  70. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  71. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  72. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  73. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  74. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  75. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  76. indu puri says:

    माँ बस माँ होती है.अपने बच्चों के लिए जीती है और इतना तो चाहती ही है मुझ जैसी माँ भी कि एक बार तो कहे'
    माँ आपको 'मिस'करता हूँ ' या
    'माँ कहाँ चली जाती हो आपके बिना घर मे मन नही लगता' जब सुनती हूँ …भीतर तक भीग सी जाती हूँ.
    यूँ बच्चे हो या पेरेंट्स कह ही देना चाहिएकिमैं तुम्हारे बिना नही रह सकती/सकता.तुम्हे बहुत प्यार करती/करता हूँ.
    अक्सर लोग कहते हैं 'ये' कहने की कहाँ जरूरत है,महसूस किया जा सकता है.'
    भई कह देने मे हर्ज क्या है आपके अपनों को आपके ये शब्द हमेशा अच्छे लगेंगे.
    मैं तो 'इन्हें' भी कहती हूँ,बच्चों को,बहु को और अपने फ्रेंड सर्कल को भी. इसी तरह गले लगाने की आदत डालिए कई समस्याओं का हल स्वतः निकल आता है,मुंह से कहने की जरूरत 'तब' नही पडती. हमारी खुशी,प्यार,नाराजगी हमारा एक 'हग',एक स्पर्श ही प्रकट कर देगा.
    हा हा हा
    मेम मजा आ गया.मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ.

  77. वन्दना अवस्थी दुबे says:

    सच है, तकलीफ़ में केवल मां ही याद आती है.

  78. स्पाईसीकार्टून says:

    9 साल से घर से दूर रह रहा हूँ। माँ को बहुत मिस करता हूँ। लेकिन कहना की आपको मिस कर रहा हूँ, ये हमारे खून मैं भी नहीं है, न जाने क्यों।

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