उसकी खनखनाती हँसी ऐसे लग रही थी जैसे झरना कलकल बह रहा हो, या सुदूर पहाड़ों के मध्य कहीं से मन्दिर की घण्टियां बज उठी हों। मैं उसकी तरफ खिचने लगी। मन कर रहा था कि यह ऐसी ही हँसती रहे और मैं उस निर्मल हँसी का पान करती रहूँ। मैंने अपनी दोस्ती का हाथ […]
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जब कोई प्यार में हो तब वह सही होता है
एक फिल्म आयी थी ‘जब वी मेट’ उसके नायिका एक संदेश देती है कि जब कोई प्यार में हो तो वह बिल्कुल सही होता है। फिल्म देखने के बाद यह संदेश गले नहीं उतरा, बहुत चिंतन-मनन हुआ। फिर एक दिन अचानक ही दिमाग की बत्ती जली, ज्ञान का प्रकाश फैल गया। मुझे सुनायी देने लगी […]
Read the rest of this entry »अरे आप घर पर ही हैं क्या?
हैलो, फोन उठाते ही सामने से आवाज आयी, अरे आप घर पर ही हैं क्या? आश्चर्य से भरा स्वर सुनाई देता है। हाँ, घर पर नहीं होऊँगी तो कहाँ जाऊँगी? मैंने प्रश्न कर लिया। अरे आप रोज ही तो बाहर जाती हैं, कभी दिल्ली तो कभी मुम्बई। बेचारे डॉक्टर साहब को अकेला छोड़कर। बड़े ही […]
Read the rest of this entry »साहित्यकार माता-पिता का स्मरण कौन करता है?
खुशबू हूँ मैं फूल नहीं जो मुरझा जाऊँगाजब भी मुझको याद करोगे मैं आ जाऊँगा। ये पंक्तियां रात को टीवी पर सुनी थी, मन से निकल नहीं रही। ऐसे लग रहा है जैसे दिल में समा गयी हों। टीवी पर संगीत का कार्यक्रम चल रहा था, उसमें प्रसिद्ध गायक शान अपने पिता का स्मरण करते […]
Read the rest of this entry »प्रतिक्रिया करें, सुप्त ना रहें
रेल के एसी द्वितीय श्रेणी में अधिकतर सम्भ्रान्त लोग यात्रा करते हैं, मैंने अधिकतर सम्भ्रान्त लोग इसलिए लिखा है कि कभी-कभार मुझ जैसे लोग भी यात्रा करते हैं। वहाँ के बेड-रोल अक्सर गन्दे होते हैं। मैं उदयपुर में निवास करती हूँ तो मेरा उदयपुर से चलने वाली रेलों से ही अधिक सामना होता है, लेकिन […]
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