इतना सन्नाटा क्यों है भाई! आजकल पूरे देश में यही सवाल पूछा जा रहा है। जिस देश को कॉमेडी शो देखने की लत लगी हो, भला उसके बिना वह कैसे जी पाएगा! हमारे लेखन के तो मानो ताले ही नहीं खुल रहे हैं, सुबह होती है और कोई सरसरी ही नहीं होती! हम ढूंढ रहे […]
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हम किसका दाना चुग रहे हैं!
आज जो हो रहा है, वही कल भी हो रहा था, हर युग में हो रहा था। हम पढ़ते आए हैं कि राक्षस बच्चों को खा जाते थे, आज भी बच्चों को खाया ही जा रहा है। मनुष्य और दानवों का युद्ध सदैव से ही चला आ रहा है। समस्याएं गिनाने से समस्याओं का अन्त […]
Read the rest of this entry »हम बड़े हैं, यही तो!
हम बड़े हैं, हम बड़े हैं यही तो! फोर्ड गाडी का विज्ञापन देखा ही होगा। सदियों से हमारी रग-रग में बसा है कि हम बड़े हैं, कोई उम्र से बड़ा है, कोई ज्ञान से बड़ा है, कोई पैसे से बड़ा है और कोई जाति से बड़ा है। बड़े होने का बहाना हर किसी के पास […]
Read the rest of this entry »कबीले ही कबीले खड़े क्यों नहीं करते?
घर में हम क्या करते हैं? या तो आपस में प्यार करते हैं या फिर लड़ते हैं। जब भी शान्त सा वातावरण होने लगता है, अजीब सी घुटन हो जाती है और हर व्यक्ति बोल उठता है कि बोर हो रहे हैं। हमारे देश का भी यही हाल है, कभी हम ईद-दीवाली मनाने लग जाते […]
Read the rest of this entry »ना दीदी बची ना मैया, बाबा पड़े अकेले!
आजकल अपने राहुल बाबा बड़े सकते में हैं, अकेले राहुल बाबा ही नहीं सारा परिवार ही सकते में आ गया है। पहले क्या था कि गांधी परिवार खेत में दो-चार दाने डालते थे और दानों की जगह तेजी से खरपतवार उग आती थी तो वे सोचते थे कि देखों हमारे खेत में कितना दम है! […]
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