माँ हमारे बारे में हमें छोटी-छोटी कहानियां सुनाती थी, अब वही कहानियाँ हमारे अन्दर घुलमिल गयी हैं। हमारा इतिहास बन गयी हैं। जब वे सुनाती थी कि गाँव में तीन कोस पैदल जाकर पानी लाना होता था तब उस युग का इतिहास हमारे सामने होता था। माँ अंग्रेजों की बात नहीं करती थी, बस अपने […]
Read the rest of this entry »छैनी-हथौड़ी और कागज-कलम ही हैं इतिहास की संजीवनी
काल के हाथों विध्वंस हुए सैकड़ों किले, छिन्न-भिन्न हो चले हजारों महल, क्षत-विक्षत लाखों हवेलियां, आज भी अपना अस्तित्व तलाशती हुई हर गाँव कस्बे में दिखायी दे जाती हैं। न जाने कितनी कहानियां इनके नीचे दफ्न हैं और न जाने कितनी कारीगरी इनमें समायी हुई हैं! जब एक किला बनता है तब न जाने कितने […]
Read the rest of this entry »