अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

अपनी रोटी से ही तृप्ति

अपनी रोटी से ही तृप्ति कभी मन हुआ करता था कि दुनिया की हर बात जाने लेकिन आज कुछ और जानने का मन नहीं करता! लगने लगा है कि यह जानना, देखना बहुत हो गया अब तो बहुत कुछ भूलने का मन करता है। तृप्त सी हो गयी मन की चाहत। शायद एक उम्र आने […]

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