अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

बैलों की चरम-चूं, चरम-चूं

मैंने कई बार न्यूसेंस वेल्यू के लिये लिखा है। आज फिर लिखती हूँ। यह जो राज ठाकरे है, उसका अस्तित्व किस पर टिका है? कहते हैं कि मुम्बई में वही शान से रह सकता है जिसकी न्यूसेंस वेल्यू हो। फिल्मों का डॉन यहीं रहता है। चम्बल के डाकू बीहड़ों में रहते हैं, इसलिये उनका आतंक […]

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