मृत्यु अरी चिर-निद्रे ! तेरा अंक हिमानी सा शीतल तू अनंत में लहर बनाती, काल जलधि की सी हलचल। – जयशंकर प्रसाद भाई नहीं रहा ! यह सूचना है या फिर काल जलधि की हलचल। मन के अनन्त में एक लहर सी उठती है, एक शून्य बन जाता है। मन का एक कोना टूटकर […]
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