अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

कोलकाता मन का और देखन का

युवा होते – होते और साहित्य को पढ़ते-पढ़ते कब कलकत्ता मन में बस गया और विमल मित्र, आशापूर्णा देवी, शरतचन्द्र, बंकिमचन्द्र, रवीन्द्रनाथ आदि के काल्पनिक पात्रों ने कलकत्ता के प्रति प्रेम उत्पन्न कर दिया इस बात का पता ही नहीं चला। मन करता था कि वहाँ की गली-कूंचे में घूम रहे उन पात्रों को अनुभूत […]

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