अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for July 31st, 2017

तेरे लिये मैं क्या कर सकता हूँ?

बादल गरज रहे हैं, बरस रहे हैं। नदियां उफन रही हैं, सृष्टि की प्यास बुझा रही हैं। वृक्ष बीज दे रहे हैं और धरती उन्हें अंकुरित कर रही है। प्रकृति नवीन सृजन कर रही है। सृष्टि का गुबार शान्त हो गया है। कहीं-कहीं मनुष्य ने बाधा पहुंचाने का काम किया है, वहीं बादलों ने ताण्डव […]

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