यदि आप ध्यान से सुने और गौर करें तो टीवी के चैनल बदलते-बदलते न जाने कितने ऐसे बोल सुनाई दे जाएंगे जो आपको सोचने पर विवश करते हैं। कल ऐसा ही हुआ, टीवी से आवाज आयी – हुकूमत इनके खून में बहती है। तभी मेरे दिल ने कहा – गुलामी हमारे खून में बसती है। […]
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हीन भावना से ग्रस्त हैं हम
कल मैंने एक आलेख लिखा था – पाई-पाई बचाते हैं और रत्ती-रत्ती मन को मारते हैं । हम भारतीयों का पैसे के प्रति ऐसा ही अनुराग है। लेकिन इसके मूल में हमारी हीन भावना है। दुनिया जब विज्ञान के माध्यम से नयी दुनिया में प्रवेश कर रही थी, तब हम पुरातन में ही उलझे थे। […]
Read the rest of this entry »पाई-पाई बचाते हैं और रत्ती-रत्ती मन को मारते हैं
कल ज्वैलर की दुकान पर खड़ी थी, छोटा-मोटा कुछ खरीदना था। मुझे जब कुछ खरीदना होता है तब मैं अपनी आवश्यकता देखती हूँ, भाव नहीं। मुझे लगता है कि भाव देखकर कुछ खरीदा ही नहीं जा सकता है। अपना सामान खरीदते हुए ऐसे ही सोने के आज के भाव पर बात आ गयी, क्योंकि सोने […]
Read the rest of this entry »कष्ट के बाद ही सुख है
यदि मैं आप से पूछूं कि जिन्दगी के किस कार्य में सबसे बड़ा कष्ट है? तो आप दुनिया जहान का चक्कर कटा लेंगे अपने दीमाग को लेकिन यदि यही प्रश्न में किसी महिला से पूछूं तो झट से उत्तर दे देगी कि माँ बनने में ही सबसे बड़ा कष्ट है। अब यदि मैं पूछूं कि […]
Read the rest of this entry »यह लड़ाई है गड़रियों की ना की भेड़ों की
कभी हम यह गीत सुना करते थे – यह लड़ाई है दीये की और तूफान की, लेकिन मोदीजी ने कहा कि यह लड़ाई है महागठबंधन और जनता की। मैं पहली बार मोदी जी के कथन से इत्तेफाक नहीं रखती, क्योंकि भारत में जनता है ही नहीं! यहाँ तो भेड़ें हैं, जो अपने-अपने गड़रियों से संचालित […]
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