एक फालतू पोस्ट के बाद इसे भी पढ़ ही लें। लोहे के पेड़ हरे होंगे तू गान प्रेम का गाता चल यह कविता दिनकर जी की है, मैंने जब पहली बार पढ़ी थी तब मन को छू गयी थी, मैं अक्सर इन दो लाइनों को गुनगुना लेती थी। लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ बदलने लगा और लगा […]
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