अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

हम चिड़ियाघर की तरह अपने-अपने कक्ष में बैठे हैं

मन कभी-कभी विद्रोह सा कर देता है, वह नकार देता है आपके सारे ही मार्ग। आप जिन मार्गों पर प्रतिदिन चल रहे हैं, जिनके बिना जीवन अधूरा सा दिखायी देता है, उनको कभी मन नकार देता है। कहता है कि बस हो गया, अब और नहीं जाना इस मार्ग पर। एक आम बुद्धिजीवी की जिन्‍दगी […]

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