अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

गुलाम बन रहे हैं हम

आपके कार्यस्थल को अच्छी तरह जाँचे-परखे और फिर निर्णय करें कि आप किस कीमत पर वहाँ अपनी सेवायें दे रहे हैं। यदि आपकी सेवायें किसी एक व्यक्ति की कृपा पर निर्भर है तो मानिये कि आप गुलामी की जिन्दगी जी रहे हैं। ऐसी गुलामी से अच्छा है कहीं छोटा सा व्यापार करना। आज देश में […]

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