अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

ज्यादा बाराती नहीं चलेंगे

हमें आपकी लड़की पसन्द है, विवाह की तिथि निश्चित कीजिये, लेकिन एक शर्त है विवाह हमारे शहर में ही होगा। वर पक्ष का स्वर सुनाई देता है। राम-कृष्ण-शिव को अपना आदर्श मानने वाले समाज में यह परिवर्तन कैसे आ गया! स्वंयवर की परम्परा रही है भारत में। कन्या स्वंयवर रचाती थी और अपनी पसन्द के […]

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विवाह आत्‍माओं का मिलन या कन्‍या का पुरुष को समर्पण

रवीन्‍द्र नाथ टैगोर की कहानियां एपिक चैनल से प्रसारित की जा रही हैं। एक कहानी जो गहरे तक आहत करती है, मन को झिझोंड़कर रख देती है, अभी देखी। स्‍वाभिमान क्‍या होता है, इसको भलीभांति समझा। स्‍वाभिमान किसप्रकार पिता से पुत्री में आता है, इसे भी अनुभूत किया। हमारा समाज विवाह के क्‍या अर्थ कर […]

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