अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

क्या पता इतिहास के काले अध्याय भी सफेद होने के लिये मचल रहे हों!

मुझे रोजमर्रा के खर्च के लिये कुछ शब्द चाहिये, मेरे मन के बैंक से मुझे मिल ही जाते हैं। इन शब्दों को मैं इसतरह सजाती हूँ कि लोगों को कीमती लगें और इन्हें अपने मन में बसाने की चाह पैदा होने लगे। मेरे बैंक से दूसरों के बैंक में बिना किसी नेट बैंकिंग, ना किसी […]

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