हमारे पिता बड़े गर्व से कहते थे कि मेरी बेटियाँ नहीं हैं, बेटे ही हैं। हमारा लालन-पालन बेटों की ही तरह हुआ, ना हाथ में मेहँदी लगाने की छूट, ना घर के आंगन में रंगोली बनाने की छूट, ना सिलाई और ना ही कढ़ाई, बस केवल पढ़ाई। हम सारा दिन लड़कों की तरह खेलते-कूदते, क्रिकेट […]
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