अजित गुप्ता का कोना

साहित्‍य और संस्‍कृति को समर्पित

Archive for March, 2018

माँ से मिलती है बुद्धिमत्ता

माँ से मिलती है बुद्धिमत्ता बहुत दिनों की ब्रेक विद बिटिया के बाद आज लेपटॉप को हाथ लगाया है, कहाँ से शुरुआत करूं अभी सोच ही रही थी कि बिटिया ने पढ़ाये एक आलेख का ध्यान आ गया। आलेख सेव नहीं हुआ लेकिन उसमें था कि हमारी बुद्धिमत्ता अधिकतर माँ से आती है। क्रोमोजोम की […]

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स्वार्थवाद का जेनेटिक परिवर्तन

कल मुझे एक नयी बात पता चली, आधुनिक विज्ञान की बात है तो मेरे लिये नयी ही है। लेकिन इस विज्ञान की बात से मैंने सामाजिक ज्ञान को जोड़ कर देखा और लिखने का मन बनाया। मेरा बेटा इंजीनियर है और उनकी कम्पनी ग्राफिक चिप बनाती है। कम्पनी की एक चिप का परीक्षण करना था […]

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अपनी रोटी से ही तृप्ति

अपनी रोटी से ही तृप्ति कभी मन हुआ करता था कि दुनिया की हर बात जाने लेकिन आज कुछ और जानने का मन नहीं करता! लगने लगा है कि यह जानना, देखना बहुत हो गया अब तो बहुत कुछ भूलने का मन करता है। तृप्त सी हो गयी मन की चाहत। शायद एक उम्र आने […]

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गमले में सिमटी माँ बौन्जाई बनाती है, वटवृक्ष नहीं

आपने कभी वटवृक्ष देखा है, कितना विशाल होता है! उसे जितनी धरती का आँचल मिलता है, वह उतना ही विशाल होता जाता है। लेकिन कुछ आधुनिक लोग आजकल वटवृक्ष को भी गमलों में रोपने लगे हैं और आपने देखा होगा कि उनका आकार सीमित हो जाता है, वे लगते तो वटवृक्ष ही हैं लेकिन उनकी […]

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अपने जीवन को जीने का मौका दें

“क्लब 60” यह फिल्म का नाम है, जो कल हमने टीवी पर देखी। जो लोग भी 60 की उम्र पार कर गये हैं उनके लिये अच्छी फिल्म है। इस फिल्म में अधिकतर पुरुष थे और उनकी संवेदनाओं पर ही आधारित थी लेकिन मैंने अपने शहर में महिलाओं के ऐसे ही समूह देखे हैं, जो अकेली […]

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