शाम को घूमने का एक ठिकाना ढूंढ लिया है, एक ऐसा गाँव जहाँ पर्याप्त घूमने की जगह है। जहाँ जंगल भी है, और जंगल है तो पक्षी भी हैं। नाना प्रकार की चिड़ियाएं हैं जिनकी चींचीं से हमारा मन डोलता रहता है। काश हम इनकी भाषा समझ पाते! हम देख रहे हैं एक पेड़, जहाँ […]
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हम ऊर्जा कहाँ से लेते हैं?
कल माँ और बेटे के बीच हुई रोचक बात सुनिये। परिवार की बात नहीं है ना ही सामाजिक है, विज्ञान की बात है। लेकिन आप सभी को पढ़ लेनी चाहिये और अपनी राय भी देनी चाहिये जिससे यह बात आगे बढ़े। तो सुनिये – कल ही समाचार पत्र में एक समाचार प्रकाशित हुआ था कि […]
Read the rest of this entry »फेसबुक का कमरा
हमारे यहाँ कहावत है कि दिन में कहानी सुनोंगे तो मामा घर भूल जाएगा! यहाँ मामा का रिश्ता तो सबसे प्यारा होता है, भला कौन बच्चा चाहेगा कि मामा ही घर का रास्ता भूल जाए! माँ जब बच्चों से कहती है, तब बच्चे जिद नहीं करते और रात को ही आकर कहानी सुनते हैं लेकिन […]
Read the rest of this entry »सूरज को पाने की जंग
हमारे बंगले की हेज और गुलाब के फूल के बीच संघर्ष छिड़ा है, हेज की सीमा बागवान ने 6 फीट तक निर्धारित कर दी है। इस नये जमाने में, मैं बंगले और हेज की बात कर रही हूँ, अरे अब तो नया जमाना है, बस फ्लेट ही फ्लेट चारों तरफ हैं। लेकिन सोसायटी में भी […]
Read the rest of this entry »मैं अभिव्यक्ति हूँ
जी हाँ मैं अभिव्यक्ति हूँ। अपने अन्दर छिपे हुए भावों को प्रत्यक्ष करने का माध्यम। न जाने कितने प्रकार हैं मेरे! कितने भावों से भरी हूँ मैं! कभी छिपना चाहती हूँ और कभी प्रकट होना चाहती हूँ। कभी प्रकट नहीं हो पाती और कभी किसी अन्य माध्यम से प्रकट हो जाती हूँ। मैं प्रेम को […]
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